चेन्नई.
साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने शनिवार को कहा जो घर के अंदर रहने की कला जानता है वही जीवन को सफल बनाता है। घर में आने वालों को प्रेम पूर्वक भोजन के साथ उनका सम्मान करने की कला सीखनी चाहिए। क्योंकि इज्जत करने के बाद ही मनुष्य को भी इज्जत मिलता है। ऐसा करने वाले ही अपने घर की शोभा बढ़ा सकते है। उन्होंने कहा घर की शोभा स्त्री होती है। अगर स्त्री सही है तो घर का मान सम्मान बढ़ता चला जाएगा। उन्होंने कहा भाव प्रकट कर वाणी का अनुसरण करने से जीवन में नए मार्ग खुलते हैं। इससे मनुष्य के कर्मों की निर्जरा के साथ दिल में शांति मिलती है। ऐसा मौका मिलने पर तत्पर होकर जीवन को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य का जीवन ऊंचाईयों पर पहुंच जाता है। जीवन का सच्चा लाभ उठाने के लिए जब भी परमात्मा की भक्ति करने का अवसर मिले तो उसका लाभ उठा लेना चाहिए। सागरमुनि ने कहा कि धर्म रूपी लोक में परमात्मा ने प्रकाश कर प्रत्येक मनुष्य जीव पर अनंत उपकार किए है। जीवन में आचरण के महत्व से ज्यादा समझ का महत्व होता है। आगे बढऩे के लिए मनुष्य को समझ प्राप्त करनी होती है। परमात्मा की अमृत वाणी सुनकर मनुष्य को अपने जीवन से क्रोध, मोह, माया और लोभ को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया तो पाप बढ़ेगा और नर्क के मार्ग पर पहुंचते चले जाएंगे। पाप के मार्ग से बचने के लिए धर्म की आराधना करने की जरूरत है। परमात्मा की वाणी एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाला गया तो उसका कोई लाभ नहीं मिलेगा। बल्कि उसे अपने आचरण में उतार कर श्रवण करने से लाभ की प्राप्ति होती है। संघ के कोषाध्यक्ष गौतमदुगड़ ने संचालन किया।