एसएस जैन संघ ताम्बरम में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा कि संक्सरी क्षमापना से अप्रत्याख्यानी कषाय का जोर टालता है और अनंतानुबंधी कषाय का उदय नहीं होता है। नमामि और रजयनि ये दो शब्द जिन शासन का अर्क है। उपकारियों को नमन करना है उपकारियों को क्षमा।
उपकारी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है। आज समाज में दो शक्ति की जरूरत है समझ शक्ति और सहन शक्ति ये दोनों शक्तिया घर परिवार ,समाज ,देश -राष्ट के पास में हो तो वे कभी भी दुखी नहीं होंगें। समझ शक्ति के अभाव में संघर्ष हो जाता है।
जहा समझ है वहा समाधान। सहन शक्ति के अभाव में द्वेष -वैर की गाठें बन जाती है। साध्वी जी ने कहा की आज सवयं आत्मा को खमाना है। परमात्मा से क्षमा मांगनी है और जगत के सर्व जीवो को क्षमा देना भी है और क्षमा याचना मांगना भी है।
श्री संघ की और से सामूहिक क्षमायाचना रखी गयी। इस अवसर पर श्री राजेश जी टपरावद तथा प्रियंका डुंगरवाल में 11-11 एवं कुमारी पायल, सौ महिमा डुंगरवाल ने 9-9 सौ0 शर्मिला गुंदेचा उषा टपरावद 5-5 उपवास के प्रत्ख्यान लिए मनीष जी बनवट ने भी 11 उपवास के नियम लिए।