कोलकाता. स्वामी सदानंद महाराज का कहना है कि सत्संग का मतलब केवल कथा स्थल पर आना और प्रवचन सुनना ही नहीं है। सत्संग का सही अर्थ है संतों का संग और संतों की कही बातों का मनन। स्वामीजी ने उक्त बातें रविवार को कही। श्री कृष्ण प्रणामी सेवा समिति के बैनर तले गौमाता की सेवार्थ आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के तीसरे दिन व्यासपीठ पर आसीन स्वामी ने कृष्ण जन्मोत्सव, नंदोत्सव, बाल-लीला और गोवर्धन लीला पर सारर्भिगत प्रवचन दिया।
उन्होंने कहा कि भगवान का जन्म पापों का नाश करने के लिए होता है। इसका सटीक प्रमाण कृष्ण-कंश प्रसंग में मिलता है। भागवत कथा का श्रवण पापों का नाश करता है। उन्होंने कहा कि अगर मनुष्य इस भौतिकवादी युग से छुटकारा पाना चाहता है, तो उसे भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए।
इस कलिकाल में भागवत कथा का श्रवण ही एक ऐसा सही व सटीक जरिया है, जिसके माध्यम से श्रोता जनम-मरण के फेरे से मुक्त हो सकता है। स्वामी ने कहा कि परमात्मा की भक्ति करने के कई मार्ग हैं, लेकिन सबसे उत्तम मार्ग है भागवत कथा का श्रवण।
शनिवार को भागवत प्रसंग के तहत ध्रुव प्रसंग, भक्त प्रह्लाद, समुद्र मंथन, वामन अवतार, श्रीराम जन्म व सबरी पर चर्चा करते हुए महाराज ने कहा कि मनुष्य अगर प्रह्लाद व सबरी जैसी आस्था पर विश्वास रखेगा तो उसे प्रभुत्व की प्राप्ति अवश्य होगी। कथा शुरू होने से पूर्व आयोजित रक्तदान शिविर में 90 लोगों ने रक्तदान किया।
समिति के सचिव उमेश केडिया ने बताया कि आठ जनवरी तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन को सफल बनाने में रमाकांत बेरीवाल, विश्वनाथ अग्रवाल, महेन्द्र कुमार बंसल, साल्टलेक, रामविलास गुप्ता, राम निवास अग्रवाल, प्रदीप बंसल, मनोज अग्रवाल, निर्मल गोयल, सुरेश गुप्ता, प्रदीप संघई, मधुसुदन सरावगी, मदनलाल राठी, रमेश राठी, देवराज रावलवसिया, दीनू गोयल, अशोक जिंदल, रामनारायण बंसल, रवि लडिय़ा व मधु गुप्ता सक्रियता और लगन से जुटे हैं। मुख्य यजमान संजू-महेन्द्र अग्रवाल, साल्टलेक ने आरती और पूजन में भाग लिया।