कोलकाता. संस्कृति, सभ्यता, संस्कार यह हमारे देश की सबसे बड़ी संपत्ति है और इसे बचा कर रखना हमारी जिम्मेदारी।
ईस्ट कोलकाता नागरिक फाउण्डेशन की ओर से लेकटाउन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन आचार्य राधेश्याम शास्त्री ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि जीवन का एकमात्र उद्देश्य जीवन में रहते हुए भगवान को मनाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे दुख का एक कारण यह भी है कि हम अपना पूरा जीवन दुनिया को मनाने में निकाल देते हैं, लेकिन संसार कभी माना नहीं है किसी से, कितनी भी कोशिश कर लो।
संसार का यह स्वभाव है कि इनकी हर इच्छा को पूरी करते रहो तो आप इनके अपने हो और जिस दिन आप इनकी बात पूरी न करो उस दिन वो आपकी हर अच्छाई भूल जाते हैं और सिर्फ बुराई याद रखते हैं। ईश्वर को मनाना बहुत आसान है और जीव को मनाना बहुत मुश्किल।
सांस्कृतिक आतंकवाद पर उन्होंने कहा कि यहां जितने भी बुजुर्ग बैठे हैं उन्होंने अपने समय संगीत-नृत्य के माध्यम से अपनी संस्कृति को देखा होगा। हर प्रदेश की भाषा अलग, नृत्य अलग, गायन अलग। अनेकता में एकता की पहचान है हमारा भारत।
इतनी सुंदर हमारी संस्कृति-संस्कार हैं, कल्चर है लेकिन आजकल पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति ने हमारे संगीत और नृत्य पर जो आघात किया है, धीरे-धीरे वह प्रदेशों से गायब होता जा रहा है। हमारे कलाकारों ने विदेश में जाकर परचम लहराए, अनेक अवॉर्ड जीते हैं लेकिन आज अपने ही देश में वे उपेक्षित हैं।
आज हर जगह रिमिक्स छाया है, पहले फिल्मी गाने भी पूरे राग में हुआ करते थे।
यजमान संतोष, महेश, उमेश झाझडिय़ा अग्रवाल परिवार के साथ संस्था परिवार की तरफ से प्रकाश राजा ने व्यासपीठ का पूजन किया। चेयरमैन हरिकिशन राठी, उपचेयरमैन जगदीश प्रसाद जाजू, अध्यक्ष प्रीतम दफ्तरी, सचिव अशोक भरतिया, कोषाध्यक्ष पीएल खेतान, मनोज बंका, श्रीराम अग्रवाल, दिलीप सर्राफ, अशोक अग्रवाल, विनोद डालमिया, विनोद सराफ, पवन अग्रवाल, किशन लोहारूका, विजय भरतिया, गंगा प्रसाद चौधरी आदि सक्रिय रहे। संचालन कथा संयोजक प्रकाश चण्डालिया ने किया।