कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा कि संस्कार हीन और चरित्र रहित शिक्षा उत्पात मचा सकती है लेकिन शांति का कारण नहीं बन सकती। अमीर उच्चपद को टिकाने के लिए, गरीबों को प्रलोभन देकर अपना स्वार्थ सिद्ध करेगा।
अनपढ़ अक्सर जालसाजी का शिकार बनता है। वह बैंकों व महाजनों से कर्जा लेकर चुकाते-चुकाते थक जाता है। लेकिन ऋण कम नहीं होता।
साहुकार और राजनेता उसके अनपढ़ होने का फायदा उठाते हैं। राजनेता कहते हैं अशिक्षित को शिक्षित बना भी दोगे तो क्या उनमें सरलता, सज्जनता आत्मयीता आ जाएगी। सज्जनता, विनम्रता हीन शिक्षा अभिशाप ही सिद्ध होगी। अपराध कम नहीं होगें।
नेपोलियन के पास सब कुछ था फिर भी शक्तिहीनों को दबाया। अमीर देश धमकाने में लगे हुए हैं। संस्कार सहित शिक्षा वरदान है। संस्कार डालने और मन को पवित्र बनाने की योजनाएं बनाए तो संस्कृति बच सकती है, नहीं तो गरीब आश्वासन की भुखमरी में दम तोड़ देगा।