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ज्ञान वाणी

संसार के सुखों की खान है प्रेम

संसार के सुखों की खान है प्रेम

चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता ने  सोमवार को प्रवचन के विषय ‘तीन लाख की तीन बात’की विवेचना करते हुए कि ब्रह्ममुहूर्त पर उठ जाना, अतिथि का सम्मान करना और क्रोध के प्रसंग पर शांत रहना ये तीन बातें जीवन में महत्वपूर्ण होती हैं।

ब्रह्ममुहूर्त में सोकर उठने से  मन शांत रहता है। अपने स्वभाव को छोडक़र विपरीत स्वभाव में रहना ही कलयुग है। इन्सान आज के कलयुग में कान व जुबान का कच्चा हो गया है। इसी कारण धर्म लुप्त होता जा रहा है।

उन्होंने कहा, अपने जीवन में अगर संतों की जिनवाणी को उतारोगे तो जीवन का कल्याण हो जाएगा। जहां क्रोध की किलकारियां गूंजती हैं वहां सभी तरह के उपदेश व्यर्थ हो जाते हैं।  क्रोध सबकुछ बर्बाद कर सकता है।

प्रेम शब्द के उच्चारण मात्र से ही सुख की प्राप्ति होती है। अगर प्रेम एक इन्सान पर ही सीमित हो तो वासना, पाप बन जाता है और अगर प्रेम सार्वजनिक हो तो प्रसाद बन जाता है। प्रेम की कोई परिभाषा नहीं है। यह संसार के सुखों की खान है। प्रेम के माध्यम से ही हम अपनी आत्मा को परमात्मा बना सकते हैं।

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