चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित जैन स्थानक थाना स्ट्रीट मेंं विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा कि परमात्मा की वाणी जन जन के जीवन को पावन बनाने वाली होती है। जब भी परमात्मा की वाणी सुनने का अवसर मिले तो आगे आकर जीवन में बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए। बहुत ही पुण्यशाली आत्माओं को मनुष्य भव प्राप्त होता है।
ऐसे मौके मिलने पर जीवन को परमात्मा की वाणी से जोड़ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि जन्म ही मनुष्य के दुखों का कारण होता है। अगर जन्म ही नहीं हो तो दुख आने का सवाल ही नहीं आएगा। यह संसार दुख और कष्टों से भरा हुआ है। जिस प्रकार से पत्थर के खान से पत्थर, लोहे के खान से लोहा और कोयले के खान से कोयला निकलता है।
उसी प्रकार से इस संसार रूपी खान से दुख ही दुख निकलते है। संसार ही दुखों का मूल कारण होता है। जब तक संसार का अंत नहीं होगा तब तक मनुष्य कष्ट और तकलीफो से दूर नहीं हो सकता है। इसलिए इस उत्तम मानव जीवन को सार्थक बनाने के लिए परमात्मा के करीब जाने का प्रयास करना चाहिए। धर्म कार्य के लिए कोई उम्र नहीं होती है।
बल्कि धर्म में रस पाने वाले किसी भी उम्र में खुद को धर्म के आचरण से जोड़ लेते है। मानव जीवन को सार्थक करने के लिए मनुष्य को पुण्य के कार्य करने में लग जाना चाहिए। इस अवसर पर सागरमुनि ने भी उद्बोधन दिया।