चेन्नई. शिक्षागत विकृति ज्यादा खतरनाक है। कैंपस में नौकरी के लिए चयन हो रहे हैं। नौकरी की चाहत में पढ़ाई चल रही है। विद्यालय बच्चों को नौकरी का लालच दे रहे हैं। बचपन के संस्कार बिगड़ रहे है।
कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में विराजित आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा कि वर्तमान में सुसंस्कार गायब हो गए हैं और कुसंस्कार ने संस्कृति का रूप ले लिया है।
अध्यात्म छूट गया भौतिकता ने अपना स्थान बना लिया है। हर दिल और दिमाग में आधुनिकता का भूत सवार है। सभी इसी रंग में रंग गए हैं। बुजुर्ग और वयोवृद्ध बाल सफेद रखना पसंद नहीं करते।
हर क्षेत्र में भौतिकता है। हर तरफ नारी के शरीर प्रदर्शन का बोलबाला है। उससे संबंधित अनैतिक खबरों में सबकी रुचि है। रिश्तों में आधुनिकता ने विकृति पैदा कर दी है।
अहम की पुष्टि के लिए अनाप शनाप खर्च कर रहे हैं। बड़े स्कूल और कॉलेज के संस्कार बच्चों को बिगाड़ रहे हैं।