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“वीर प्रभु की आराधना”

“वीर प्रभु की आराधना”

“वीर प्रभु की आराधना”. श्रीमद् उत्तराध्ययन सुत्र के संपुर्ण36 अध्याय की (पारायण) आराधना आकुर्डी-निगडी-प्राधिकरण संघ अंकित श्रुत आराधना जिनेश्वरी ग्रुप द्वारा साध्वी जिनाज्ञा श्री जी के नवकारमंत्र एवं मंगलपाठ से वाचन शुरु हुआ! इस मंगलमय अवसरपर श्री संघ के अध्यक्ष सुभाषजी ललनाणी उपस्थित थे!इस वाचन मे अनेक बहनोने अपना सहभाग लिया !

अर्हम विज्जा प्रणेता ,उपाध्याय प्रवर पु. प्रविणऋषिजी म.सा. के आशिर्वाद से संजयजी राहुलजी मंजुजी संचेती के प्रांगण मे परमात्मा की अंतिम वाणी ज्यो हस्तिपाल राजा के सभा मे परमात्मा द्वारा प्रतिबोधित की गयी थीl उन अनुठी गाथाओं का वाचन प्रारंभ हुआ!

आज ज्ञान/ऋषि/लाभ/शुध्द पंचमी के शुभ अवसरपर अपने उद् बोधन मे आत्म कल्याण के लिए आगम के ज्ञान प्रकाश वाणी का हमें रसपान करना है! ज्ञान द्वारा अपना मार्ग प्रकाशित करना है! सम्यक ज्ञान नही तो व्यवहारी ज्ञान नही आता! धर्मसभा मे उपस्थित धर्म अनुरागीयों का स्वागत सुभाष जी ललवाणी ने किया!

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