Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

लोभ सभी पाप का बाप है: प्रियदर्शन जी महाराज

लोभ सभी पाप का बाप है: प्रियदर्शन जी महाराज
पूज्य श्री प्रियदर्शन जी महाराज सा ने 18 पापों की श्रंखला में 9वें पाप लोभ पर प्रवचन माला की शुरुवात करते हुए बताया की इन्सान के पेट का गड्डा 05, 07,10  रोटी खाने के बाद कुछ समय के लिए भर जाता है, लेकिन फिर कुछ घंटो में खाली हो जाता है, इन्सान जन्म से अब तक ट्रक भर के अनाज, दूध, घी शक्कर खा चूका होगा, लेकिन पेट का ये गड्डा आज भी खाली का खाली है, दुनिया भर की नदियों का पानी समुद्र में मिलता है, लेकिन समुद्र का गड्डा कभी भरने वाला नहीं है, शमशान में सेकड़ो लोग जला दिए गए लेकिन शमशान में कभी भी हाउस फुल का बोर्ड नहीं लगा ।
एक बार हो सकता है की इन्सान के पेट का गइ्डा भर जाये, समुद्र का गइडा भर जाये, शमशान हॉउस फुल हो जाये लेकिन मनुष्य के लोभ का गइडा कभी भरने वाला नहीं है । हम पेट भरने के लिए नहीं पेटी भरने के लिए कमा रहे है । और ये पेटी कभी भरने वाली नहीं है ।
पानी के टंकी का एक माप तय होता है, बाँध में पाने भरने का भी माप फिक्स होता है, दरजी के यंहा कपडे सिलते समय कमर का माप भी फिक्स होता है, भोजन बनाते समय भी हर वस्तु का माप फिक्स होता है । लेकिन आप के दिमाग में कोई माप फिक्स है।
नहीं की कितना धन कमाना है । आपके धन का कोटा कभी पूरा नहीं होता है, चूहा पिंजरे में क्यों फंसता है क्योंकि को रोटी के टुकड़े के लालच में आ जाता है, अपने लोभ के वजह से चूहा पिजरे में फंस जाता है, वैसे ही इन्सान अपने लोभ की वजह से पाप के दलदल में फंसता चला जाता है ।
फिर क्या करे धन कमाना छोड़ दे, परिवार का पालन पोषण करना छोड़ दे, नहीं भगवन ने कभी भी धन कमाने के लिए मना नहीं किया है । क्योकि धन नहीं कमाओगे तो श्रावक धर्म का पालन नहीं हो सकेगा ।
 लेकिन धन के चक्कर में व्यापर के चक्कर में खाना पीना भूल जाये, परिवार को गौण कर दे, धर्म आराधना भूल जाये, इस प्रकार का धन कमाने के लिए परमात्मा ने मना किया है ।
सभी संघर्ष का मूल कारण लोभ है, नीबू की बूंद दूध को फाइ़ सकती है लेकिन दही का कुछ नहीं बिगाड़ सकती है, आग वनस्पति को जला सकती है लेकिन कीचड़ का कुछ नहीं कर सकती है ।
इसी प्रकार क्रोध ज्यादा से ज्यादा प्रेम प्रीत को मिटा सकता है, मान/अभिमान विनय को नष्ट कर सकता है, माया मित्रता का संबंधो का नुकसान कर सकती है, लेकिन लोभ सब कुछ विनाश कर देता है । इसीलिए कहा जाता है की लोभ सभी पाप का बाप है । 
मकान, दुकान के लिए भाई भाई का पिता पुत्र का झगडा, मार पिट, एक एक फिट और एक एक इंच जगह के लिए विवाद और कोर्ट तक के झगडे ।
जिस दिन मौत होगी उस दिन जो कफ़न रूपी ड्रेस पहनोगे उसमे जेब भी नहीं होगी, कफ़न ये समझाने के लिए बनाया गया है की साथ में कुछ नहीं जाने वाला है ।
तेरे मन का ये जो लोभ का गडडा है वो कभी भरने वाला नहीं है, जहाँ लोभ है वंहा विनाश है, धन के पीछे दीवाना मत बन धन के पीछे अपनी समाधी बेचने का कार्य मत कर ।
पूज्य श्री सौम्यदर्शन जी मसा ने 24 तीर्थकर पर आधारित अपनी प्रवचन माला के अंतर्गत दुसरे तीर्थकर अजीतनाथ जी के बारे में बताया की अजित नाम मतलब है, जिससे कोई जीत न सके । 
हम जितना पसंद करते है या हारना, हमें जितना पसंद है लेकिन हम जीतते नहीं है । अपनी इच्छाओं को जीतो । मन पर हमारा नियंत्रण है तो हम जीते हुए है, अगर हम मन के कब्जे में है तो हम हारे हुए है ।
क्रिकेट मैच में टारगेट पूरा कर लिया तो जीत मिल जाती है, लेकिन मन को जितने के लिए प्रभु का सहारा लेना पड़ता है । प्रभु का सहारा मिल गया तो हमारी जीत पक्की है । श्री अजितनाथजी हमें जितने की प्रेरणा देते है ।
अजितनाथ भगवन का चिन्ह हाथी है, गज है । ये गज हमें प्रेरणा देता है की तू मेरे जैसा बन जा। हाथी शत्रुओं का डट कर मुकाबला करता है, महावीर अगर परिशयो का डट कर मुकाबला नहीं करते तो केवल ज्ञान प्राप्त नहीं होता | 
हाथी दूसरी प्रेरणा देता है की जैसे हाथी एक बात के लिए बदनाम है की हाथी के खाने के दांत और दिखने दे दांत और, हमें इस तरह बदनाम नहीं होना है, हमारी कथनी और करनी एक रखना है | जैसे हाथी का पेट बड़ा होता है वैसे तू भी अपना पेट बड़ा रख पेट बड़ा रखना मतलब तोंद निकलना नहीं, पेट बड़ा रखना मतलब बातो को हजम करने की शक्ति रखना, इधर की बात उधर मत करना |
हाथी से चौथी शिक्षा ये लेना है की जैसे हाथी के पीछे कुत्ते भोंकते है तो हाथी उन्हें जवाब नहीं देता है, वो अपनी मस्त चाल से चलता रहता है, मतलब अगर आप सही हो तो फिर ज़माने में कौन क्या कह रहा है आप उसकी परवाह मत करो । 
कुत्ता गधे के पीछे भी भोंकता है हाथी के पीछे भी भोंकता है। तो गधा कुत्ते को लात मारता है, और हाथी बेफिक्र चलता है। हमें विजयी बनना है और हमें हाथी के गुणों को ग्रहण करना है और हाथी के अवगुणों का त्याग करना है। ये ही सीख हमें अजीत नाथ प्रभु का नाम और उनके चिन्ह देते है ।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar