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ज्ञान वाणी

रिश्तों को बनाने से ज्यादा निभाने में विश्वास रखें: राष्ट्र-संत ललितप्रभ

रिश्तों को बनाने से ज्यादा निभाने में विश्वास रखें: राष्ट्र-संत ललितप्रभ
अतुल, वलसाड़: राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी महाराज, राष्ट्र-संत श्री चन्द्रप्रभ जी महाराज, साध्वी श्री सुप्रिय दर्षना जी महाराज और साध्वी श्री कल्पलता श्री जी महाराज के सान्निध्य में रविवार को मुकुंद कंपनी के पीछे, कालिया स्कूल के सामने स्थित जैन स्थानक में संत श्री अंबालाल महाराज का दीक्षा दिवस और श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि जी महाराज का जन्म दिवस समारोह आयोजित किया गया।
इस अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए संत श्री ललितप्रभ जी महाराज ने कहा कि रिश्ता वो नहीं होता जो दुनिया को दिखाया जाता है। रिश्ता वह होता है जिसे दिल से निभाया जाता है। अपना कहने से कोई अपना नहीं होता, अपना वो होता है जिसे दिल से अपनाया जाता है।
रिश्तों को बनाने में नहीं, अपितु निभाने में विश्वास रखिए। रिश्ते बनाना उतना ही आसान है जैसे मिट्टी से मिट्टी पर मिट्टी लिखना, पर रिश्तों को निभाना उतना ही कठिन है जैसे पानी से पानी पर पानी लिखना। उन्होंने कहा कि बचपन में हम सौ बार लड़ते थे, तो भी रिश्ता खतम नहीं होता था। अब दूसरी बार लडने की नौबत नहीं आती,क्योंकि पहली लड़ाई में ही हम रिश्तों का खतम कर देते हैं।
रिश्तों की खूबसूरती बरकरार रखनी है तो बात मनवाने पर नहीं, समझाने पर जोर दीजिए। रिश्तों में अहंकार को पैदा मत होने दीजिए। एक दिन हम सब एक दूसरे को सिर्फ यह सोचकर खो देंगे कि वो मुझे याद नहीं करता, तो मैं क्यों करूँ। रिश्ते में पूरी पारदर्शिता रखिए, क्योंकि रिश्ते बर्फ के गोले जैसे होते हैं। बनाना सरल, पर बनाकर रखना मुश्किल। याद रखें, रिश्ता और शीशा दोनों नाजुक होते हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि शीशा गलती से टूटता है और रिश्ता गलतफहमी से।
उन्होंने कहा कि वक्त पडने पर परिवार में सॉरी कहने का बड़प्पन दिखाइए। माफी माँगने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप गलत हैं और सामने वाला सही है, वरन् इसका अर्थ यह है कि आप रिश्तों को निभाना जानते हैं। रिश्तों में कभी खटास घुल जाए तब भी उन्हें मत तोडिये। याद रखिए, गंदा पानी पीने के काम तो नहीं आता, पर आग बुझाने के काम जरूर आता है। जीवन में चार चीजें कभी मत तोडिये – रिश्ता, विश्वास, दिल और वचन ये टूटते हैं तो आवाज नहीं होती, पर दिल बहुत दुखता है।अरिश्तों में कभी किसी को मतलबी मत समझिए। आप खुद भी भगवान को तभी याद करते हैं जब आप मुसीबत में होते हैं।
इस दौरान साध्वी श्री सुप्रिय दर्षना जी महाराज ने कहा कि परिवार, समाज, धर्म और सब जगह हम सुई बनकर रहें, कैंची की तरह नहीं। सुई दो को एक कर देती है और कैंची एक को दो कर देती है। रिश्तों में दीवार भले ही खड़ी हो जाए, पर दरार मत पडने दीजिए। यह सच है कि जब कोई अपना दूर चला जाए तो तकलीफ होती है, पर असली तकलीफ तब होती है जब कोई अपना पास होकर भी दूरियाँ बना लेता है। रिश्तों में कभी समझौता करना भी सीखिए, क्योंकि थोड़ा-सा झुक जाना किसी रिश्ते को हमेशा के लिए तोडने से अच्छा है।
इस अवसर पर राष्ट्र-संतों ने साध्वी श्री सुप्रिय दर्षना जी महाराज को उनके जन्म दिवस पर स्फटिक की माला देेकर आषीर्वाद दिया।
इससे पूर्व राष्ट्रसंतों के अतुल पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाकर स्वागत किया। कार्यक्रम में श्री वर्द्धमान जैन स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के प्रेमचंद मेहता, रोषनलाल देरासरिया, राकेष बोहरा, अषोक कोठारी, प्रकाष तातेड़, प्रदीप कोठारी आदि अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। समारोह में वलसाड़, अब्रामा, वापी से भी अनेक श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
सोमवार को डूंगरी जैन मंदिर में होगा प्रवास-राष्ट्रसंतों का कल सोमवार 10 दिसम्बर को डूंगरी जैन मंदिर में प्रवास रहेगा।

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