चेन्नई. किलपॉक स्थित कांकरिया भवन में साध्वी मुदितप्रभा ने कहा आचार्य हीराचंद्र ने समाज को प्रेरणा दी है कि धार्मिक, आध्यात्मिक बनने के पूर्व युवापीढ़ी व्यसनमुक्त जीवन जीये। अधिकांश सडक़ दुर्घटनाएं अल्कोहल अर्थात शराब के नशे के कारण होती हैं।
नशे की आदतें पहले मकड़ी के झाल की तरह इंसान को मजबूर कर देती हैं फिर नशे की रोजाना की लत लोहे के झाल की तरह मजबूत हो जाती हैं। बड़ी ही विडम्बनाएं हैं कि खानदानी, समझदार ऊंचे पदों पर आसीन व्यक्ति भी नशे की लत में मशगूल हैं, कहीं कहीं तो देखा जा रहा है कि परिवार के सदस्य साथ बैठ कर नशे एवं शराब आदि का सेवन करते हैं।
इंसान सभ्यता, संस्कृति और खानदान को भी इस लत के पीछे भूल चुका हैं। पद, सत्ता के नशे में युवा पीढ़ी विनय, संस्कार आदि को भूल जाती है। आजकल मोबाइल के खेलों के नशे में अनेक युवा आत्महत्या कर लेेते हैं वहीं कहीं परिवार के सदस्यों की हत्या जैसे घृणित कार्य भी कर रहे हैं।
साधक आत्माएं भी नाम यश कीर्ति के नशे में संयम साधना से गिर जाते हैं और लक्ष्य से भटक जाते हैं। इसलिए नशे से बचें। आचार्य हीराचंद के व्यसन मुक्ति के संदेश से समाज में संस्कृति सभ्यता और शांति कायम हो सकती है।