चेन्नई. ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा कि यह दुनिया राबड़ी के समान है और आगम शास्त्र सिद्धांत पौष्टिक तत्वों से बनी हुई रबड़ी के समान है। जन्म मरण के चक्रव्यूह से मुक्त होने के लिए आगम वाणी का पयपान जरूरी है। मनुष्य जन्म मोक्ष का दीप है। पर विषय कषय के कारण संसार का दीप बनता जा रहा है।
जीवन को सार्थक करने के लिए अतीत की चिंता मत करो, भविष्य पर भरोसा मत करो और वर्तमान को व्यर्थ जाने न दो। वर्तमान सुधर गया तो लक्ष्य पर पहुंच जाएगे। जीवन में भागा दौड़ी, हाथा जोड़ी और माथा फोड़ी से बचने के लिए, अर्थी उठने से पहले जीवन को समझना जरूरी है। आज इंसान जड़ के कारण चेतन से संबंध तोड़ देता है पर जड़ तो यहीं रह जाएगा।
ट्रस्टी चला जाता है ट्रस्ट यहीं रह जाता है। उन्होंने कहा कि जीवन असस्कृंत है। आयुष्य की डोर टूटने पर कोई जोड़ नहीं सकता। शरीर निर्बल है और काल घोर है। जैसे किसान और मोर को बरसात अच्छी लगती है, उल्लू और चोर को रात अच्छी लगती है भव्य आत्माओं को प्रभु वाणी अच्छी लगती है।