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ज्ञान वाणी

मृत्यु पर संसारी रोते हैं पर साधक की मृत्यु लक्ष्य प्राप्ती है

चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित आचार्य सुदर्शनलाल ने कहा संसारी की मृत्यु पर संसारी रोते हैं जबकि साधक की मृत्यु पर संसारी खुशियां मनाता है क्योंकि एक साधक ने अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया होता है। संसारियों में जन्मदिवस मनाने का तथा साधना क्षेत्र में पुण्यतिथि का महत्व अधिक होता है जबकि साधक के लिए मृत्यु महोत्सव है। केवल महावीर ही ऐसे थे जिन्होंने बताया कि मरना कैसे है। यदि आप आसक्ति के साथ मृत्यु को स्वीकार करते हैं तो अशुभ गति की ओर गमन कर रहे हैं। मरण दो प्रकार का होता है-बाल मरण और पंडित मरण। जीवन में आसक्ति छोड़ते हुए पंडित मरण करें। इससे पूर्व सौ यदर्शन मुनि ने कहा ज्ञान का अंश एकेन्द्रिय से लेकर सभी जीवों में विद्यमान है लेकिन केवल ज्ञान की प्राप्ति मानव भव में ही संभव है। नवकार मंत्र के नवपद में छठे पर ज्ञान की आराधना बताई गई है। ज्ञान की महिमा अनंत है। संघ अध्यक्ष कमलचंद खटोड़ ने बताया कि मंगलवार को प्रवचन का समय नौ बजे से रहेगा।

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