चेन्नई. गुरुवार को पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम जैन मेमोरियल सेन्टर में विराजित साध्वी कंचनकंवर व डॉ.सुप्रभा के सानिध्य में साध्वी डॉ.उदितप्रभा ने कहा कि कथनी और करनी की दूरी संसार में सबसे अधिक है। इससे लोगों का जीवन अधूरा और जीना मजबूरी बन गई है।
बाहरी स्वच्छता का दिखावा है और अन्तरमन गंदा है। दोहरा जीवन जीने वाले लोग सामने अच्छे बनते हैं और पीछे से बुराईयां करते हैं, इसी से सब तरफ दुख है। मन, आचरण और मुख से उच्चारण में एकरूपता से ही जीवन में धर्म उतरता है।
ज्ञान, दर्शन और चारित्र की व्यावहारिक जीवन में सम्यक पालन की आवश्यकता है। धर्म की चर्चा सभी करते हैं लेकिन धर्म धारण नहीं करते तो हंसी का पात्र बनते हैं। चारित्र में ज्ञान के अभाव में कर्म दग्ध नहीं होते। साधक के लिए पांच सम्मिति और तीन गुप्ति का पालन करे तो मुक्ति पा सकता है।
ज्ञानार्जन किया पर आचरण नहीं किया तो ज्ञान व्यर्थ है। आज तक सम्यक चारित्र बिना कोई मोक्ष नहीं गया। साध्वी डॉ.हेमप्रभा ने कहा कि महापुरुषों ने अध्यात्मक की दृष्टि से इस संसार को परीक्षा भवन की उपमा दी है, जिसमें सभी मनुष्य अपनी परीक्षा दे रहे हैं।
यहां पर आना जन्म और परीक्षा खत्म होना मृत्यु है। इस बीच तीन घंटे रूपी मनुष्य जीवन बाल्यावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था सभी को मिला है। अपनी उत्तरपुस्तिका रूपी जीवन में जैसे कर्म के प्रश्नोत्तर हल करेंगे वैसे ही आपको परिणाम प्राप्त होंगे।
साध्वी डॉ. इमितप्रभा ने पर्यूषण के तीसरे दिन अंतगड़ सूत्र का वाचन और विवेचन किया। धर्मस्थल पर आठ दिनों का अखंड नवकार महामंत्र का जाप और चार माह तक तेले तप की लड़ी चल रही है। शुक्रवार को भगवान महावीर स्वामी जन्म कल्याणक का वाचन होगा।