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ज्ञान वाणी

महापुरुषों के जीवन से संदेश लेने की जरूरत

महापुरुषों के जीवन से संदेश लेने की जरूरत

-जन्म कल्याणक एवं पुण्यतिथि मनाई

चेन्नई. सैदापेट जैन स्थानक में विराजित उपप्रवर्तक विनयमुनि और गौतममुनि के सानिध्य में रविवार को भगवान पाश्र्वनाथ का जन्म कल्याणक दिवस एवं उपाध्याय प्रवर कन्हैयालाल की 18वीं पुण्य स्मृति दिवस मनाई गई।

इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए विनयमुनि ने कहा पाश्र्वनाथ भगवान का मानव जाति पर अनंत उपकार है। उनके बताए मार्गो पर अगर मनुष्य चलेगा तो उसका जीवन बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि मुनि कन्हैयालाल का जीवन भी बहुत ही सरल था। उनके जीवन से प्रत्येक मनुष्य को संदेश लेने की जरूरत है।

संदेश लेकर उसे भुलना नहीं बल्कि उस पर अमल करने वाला सफल हो जाएगा। गौतममुनि ने कहा भगवान के नाम की प्रत्येक पंती को याद रखना मनुष्य का कर्तव्य होता है। तीर्थंकर भगवान की स्तुति करते समय रोम रोम पावन बन जाना चाहिए। उन्होंने कहा परमात्मा की प्रार्थना करते समय मनुष्य में रस आ जाना चाहिए।

परमात्मा के गुणानुवाद करते समय अगर हृदय में अहो भाव आए तो समझो जीवन बदल रहा है। देवगुरु की भक्ति को दिल से करने का प्रयास करना चाहिए। महापुरुषों के गुणानुवाद का जब भी मौका मिले तो दिल से लाभ लेना चाहिए।

ऐसे उत्तम कार्यो में जीवन को तप और त्याग से जोडऩे पर जीवन में बदलाव आता है। संतो का सानिध्य मिलने पर मन में धर्म, दया, तप और त्याग करने के भाव लाना चाहिए। ऐसे भाव आने पर निश्चित ही जीवन में बदलाव आने लगता है। उन्होंने कहा पाश्र्वनाथ भगवान ने हमेशा से लोगों का भला किया है।

उनके बताए मार्गो पर चलने के साथ दूसरों को भी चलने की शिक्षा देनी चाहिए। सागरमुनि ने कहा पाश्र्वनाथ भगवान का जन्म कल्याणक दिवस भी मनुष्य को बेहतर मार्ग देने के लिए ही आता है। भगवान ने हमेशा से लोगों पर उपकार किए है। उनके उपकारों को भुलना नहीं चाहिए। प्रवर कन्हैयालाल का जीवन बहुत ही सरल था।

महापुरुषों के जीवन से मनुष्य को सीख लेने की जरूरत होती है। अगर ऐसे मौके पर भी मनुष्य कुछ सीखने का प्रयास नहीं करता तो जीवन व्यर्थ हो जाता है। मनुष्य के जीवन में भी विभिन्न विषयों का विष होता है। उन विषयों से खुद को दूर करने के लिए अलग द्वार पर चलना चाहिए।

महापुरुषों ने अलग मार्गो का अनुसरण कर अपने जीवन में बदलाव किया था। उसी प्रकार से मनुष्य को भी उनके बताए मार्गो का अनुसरण करना चाहिए। झुलसती हुई आत्मा को शांत करने के लिए पाश्र्वनाथ और महावीर के जीवन से सलाह लेकर आत्म कल्याण करना चाहिए।

जन्मजयंति मनाना तभी सार्थक होगा जब मनुष्य महापुरुषों के जीवन के संदेश को जीवन में उतारेगा। राजेश लुंकड़ एवं पापीबाई सूराणा ने भी गुरु भगवंतों के गुणगान गाए। संजयमुनि ने मंगलाचरण और फुलमुनि ने गीतिका प्रस्तुत की।

इस मौके पर संघ के अध्यक्ष गौतमचंद लोढा, ऊतम गोठी, कमल खटोड, बाबू लाल बोकडीया, रिखब नाहार, गौतम नाहटा, अभय संचेती, रिखबचंद ललवाणी और संपतराज कुचेरिया गौतम दुगड सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे।

महावीर चंद, गौतम चंद सुराणा की तरफ से 11 चांदी के सिक्के ड्रॉ रखे गए। गुरुभगवंतों के सानिध्य में १ जनवरी को महामांगलिक एवं मुमुक्षु बहन का अभिनंदन समारोह रखा गया है। कार्यक्रम का संचालन मंत्री पदमचंद छाजेड ने किया।

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