नवनिर्मित स्थानक का उद्घाटन
चेन्नई. एएमकेएम मेमोरियल सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में शुक्रवार को नॉर्थ टाउन बिन्नी मिल में श्रमण संघ के प्रथम युवाचार्य मिश्रीमल ‘मधुकर’ का 35वां पुण्य स्मृति दिवस समारोह हुआ। उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि, तीर्थेशऋषि, उपप्रवर्तक विनयमुनि व गौतममुनि, साध्वी धर्मप्रभा के सान्निध्य में श्री एएमकेएम धर्मपेढ़ी के अंतर्गत नवनिर्मित प्रथम स्थानक का उद्घाटन किया गया।
इस मौके पर विनयमुनि ने कहा धर्मपेढ़ी का उद्घाटन होना नॉर्थ टाउन के लोगों के लिए सौभाग्य की बात है। धन और धर्म एक ही अक्षर से शुरू होते हैं लेकिन हम किसे ज्यादा महत्व देते हैं यह महत्वपूर्ण है। पास में धन होना ही बड़ी बात नहीं उसका सही सदुपयोग जरूरी है। धन अर्जन न्याय संगत होना चाहिए, अन्याय से इक_ा किया गया धन विनाश आमंत्रण देता है। संसार में तीन ही धन है- अन्न, जल और सुभाषित। परमात्मा के वचन सबसे बड़ा धन कहा गया है।
साध्वी धर्मप्रभा ने कहा श्रमण संघ के प्रथम युवाचार्य मिश्रीमल ‘मधुकर’ महान विभूति थे। वे शांत, प्रशांत व्यक्ति के धनी थे। उनकी ख्याति राजस्थान की धरती के मीठी मिश्री के रूप में हुई थी। उन्होंने श्रमण संघ के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।
आचार्य महाश्रमण के शिष्य सुधाकर मुनि ने कहा महापुरुषों के जीवन पर बोलना दुनिया का आसान काम और उनकी शिक्षाओं को जीना सबसे मुश्किल कार्य है। युवाचार्य मिश्रीमल जिनशासन के हीरे के समान थे। उन्होंने जैन आगमों और कथाओं को सरल भाषा में संपादित कर उन्हें जन-जन तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त किया, उनकी यह देन समाज के पास अमूल्य धरोहर के रूप में सदैव रहेगी।
उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा धर्मस्थल जीवन को धर्ममय करने का स्थान होते हैं। महान व्यक्तित्व जीवन में प्रेरणा देते हैं। उनके कथानक को सुनकर हम अपने जीवन में प्रेरणा ग्रहण करें यही हमारे द्वारा उन महापुरुष के प्रति स्मृतिदिवस पर सच्ची श्रद्धांजलि है।
उपाध्याय प्रवर ने कहा युवाचार्य मिश्रीमल ‘मधुकर’ के साथ रहने का सौभाग्य मिला। उनके लिए पद कभी महत्वपूर्ण नहीं रहा। अपनी साधना के लिए पद भी उन्होंने त्याग किया। इतिहास महापुरुषों से बनता है और उनकी कुर्बानियों से भविष्य का निर्माण होता है। उनके पदचिन्हों पर चलकर जीएं तो जीवन की ऊंचाईं पर पहुंच सकते हैं। उनके विचारों से सभी सहमत होते थे, वे अपने जीवन में सदैव मन, वचन, क्रिया सभी में मधु जैसे ही रहे और दिल पर राज किया। उन्होंने32 जैन आगमों का हिंदी अनुवाद किया।
मुख्य वक्ता नई दिल्ली के रतन जैन ने कहा वर्तमान में युवाचार्य ‘मधुकर’ द्वारा प्रदत्त आगम और ग्रंथों को भावी पीढ़ी के हाथों में पहुंचाने की जरूरत है। राजनीति में धर्म आ जाए तो राजनीति का शुद्धिकरण हो जाता है लेकिन धर्म में राजनीति आ जाए तो वह पतन की ओर ले जाती है। संघ और समाज को संतों के चरणों में रहना चाहिए। संघों में राजनीति नहीं होनी चाहिए। जो लीक से हटकर चलते हैं, उन्होंने सदैव नई राहें दिखाई है। गुरु मधुकर ने समाज को नई राह और नया निर्माण कर नई दृष्टि प्रदान की।
एएमकेएम ट्रस्ट के धर्मीचंद सिंघवी ने कहा पूरे देश में कहीं भी यदि समाज धर्म स्थानक का निर्माण करना चाहे तो श्री एएमकेएम धर्मपेढ़ी के अंतर्गत बनाए नए स्थानक में 75 प्रतिशत का योगदान दिया जाएगा और 25 प्रतिशत स्थानीय सहयोग अपेक्षित रहेगा। उन्होंने नॉर्थ टाउन स्थानक के निर्माण में सहयोग करने वाले सहयोगियों के नाम लेकर उनका आभार जताया। इस स्थानक में नवकार कलश स्थापना, श्रुतपीठ की स्थापना व नित्य नवकार जाप होगा। अजीत चोरडिय़ा ने अतिथियों और श्रद्धालुओं का सम्मान और आभार प्रकट किया।
समारोह में श्री एएमकेएम ट्रस्ट और अर्हम विझा द्वारा ललिता जांगड़ा को ‘अर्हत श्री’ की उपाधि से अलंकृत किया गया, जिन्होंने सैकड़ों कुष्ठ रोगियों की सहायता करते हुए उन्हें जैन धर्म के प्रति निष्ठवाना बनाने का कार्य किया है। उपाध्याय प्रवीणऋषि चातुर्मास समिति द्वारा धर्मीचंद सिंघवी को ‘संघ सेतु’ और गौतमचंद कांकरिया को ‘संघ गौरव’ उपाधि प्रदान की गई।
समारोह में चातुर्मास समिति के नवरतनमल चोरडिय़ा, अभयकुमार श्रीश्रीमाल, पदमचंद तालेड़ा, जेठमल चोरडिय़ा, गौतम कांकरिया, यशंवत पुंगलिया, शांतिलाल सिंघवी, सुनीलकुमार कोठारी, सज्जनराज मेहता तथा कांताबाई चोरडिय़ा, कमला मेहता, शांति गेलड़ा व अनेक संघ पदाधिकारी और समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इसके अलावा मेमोरियल ट्रस्ट के सिद्धेचंद लोढ़ा, भीकमचंद बोहरा, सागरमल लोढ़ा, इंदरचंद बोहरा तथा अशोक गेलड़ा भी उपस्थित थे।