साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभा ने कहा कि आज का दिन त्रिआयामी हैं| आचार्य श्री तुलसी का जन्मदिवस, समण श्रेणी जन्मदिन और अणुव्रत दिवस, ये तीन आयाम जिसके साथ जुड़ जाते हैं, वह दिन सुबुद्ध हो जाता हैं| आचार्य श्री तुलसी नैसर्गिक व्यक्तित्व साथ लेकर आये, प्रकृति ने भी सब कुछ दिया, जिसमें विकास हो सकता हैं| वे उत्तम व्यक्तित्व थे, गुरूकृपा से और निखार आया| आचार्य कालूगणी ने 16 वर्ष की आयु में साधुओं के प्रशिक्षण का दायित्व और 22 वर्ष में संघ का दायित्व संभलाया| समाज और धर्मसंघ के विकास का चित्र बनाया, उसमें एक था साध्वीयों के शिक्षण का| साध्वी और समणी वर्ग ने जो संघीय विकास किया है, गुरूदेव तुलसी का ही पुरूषार्थ हैं| दीक्षा के पहले शिक्षा के लिए पारमार्थिक शिक्षण संस्था की स्थापना की| वे महान प्रवचनकार, संगीतकार, साहित्यकार थे, साहित्यकारों के सृष्टा थे| देश के गिरते हुए नैतिक स्तर को ऊचा उठाने के लिए “अणुव्रत आन्दोलन” का प्रवर्तन किया| सामाजिक कुरूढियों को दूर करने के लिए, चेतना को जगाने के लिए नया मोड़ का अवदान दिया और अनेकों अवदान तेरापंथ धर्मसंघ और समाज के लिए दिये| समण श्रेणी का सपना देखा और आज वह उनका साकार रूप हैं| आचार्य श्री महाप्रज्ञजी और आचार्य श्री महाश्रमणजी ने बहुत श्रम किया हैं| उन्हीं के चिन्तन, श्रमशीलता से यह श्रेणी आगे बढ़ रही हैं|