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महातपस्वी महाश्रमण की अमृतवाणी से गुंजायमान हो उठी कर्नाटक की धरा

कम्मदसनद्रा, कोलार (कर्नाटक): अब दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, पाण्डिचेरी की यात्रा के बाद जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के देदीप्यमान महासूर्य, मानवता के मसीहा, भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ कर्नाटक राज्य को पावन बनाने के लिए बुधवार को मंगल प्रवेश किया।

अपने आराध्य को अपने राज्य में पाकर केवल श्रद्धालु ही नहीं, मानों प्रकृति भी आह्लादित नजर आ रही थी। कर्नाटक की धरा भी मानों अपने संपूर्ण संपदाओं के साथ महातपस्वी की अभिवन्दना में जुट गई थी। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देखने को मिला जब बुधवार को आचार्यश्री महाश्रमणजी के प्रवेश के कुछ घंटों के बाद ही आसमान बादलों से आच्छादित हुआ और दोपहर बाद तो वर्षा का क्रम आरम्भ हो गया।

आचार्यश्री की अब तक की दक्षिण भारत के किसी भी राज्य में मंगल प्रवेश हुआ है, तब-तक प्रकृति ने कुछ इसी प्रकार से आचार्यश्री के चरण पखारे थे तो भला कर्नाटक राज्य की प्रकृति भी इस मौके को कैसे जाने देती। देर रात हुई बरसात ने वातावरण को शीतल बना दिया। अब तक तप्त गर्मी से बेहाल लोगों को राहत मिली।

गुरुवार को प्रातः भी मौसम में शीतलता व्याप्त थी। ऐसे शीतल मौसम में शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने सुन्दरपालया से मंगल प्रस्थान किया। मार्ग के दोनों ओर आम के बगीचों और सब्जी के खेतों में छाई हरियाली मानों महातपस्वी का अभिवादन कर रही थी। आचार्यश्री लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर कम्मदसनद्रा गांव स्थित कोटिलिंगेश्वरा आॅडिटोरियम में पधारे। 

आॅडिटोरियम परिसर में आयोजित मंगल प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री ने समुपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी का व्यवहार अच्छा होना चाहिए। धर्मपूर्ण व्यवहार अच्छा होता है। धर्म विरोधी व्यवहार अच्छा नहीं होता। आदमी का व्यवहार विमल हो तो लोग उसकी प्रशंसा करते हैं। आदमी की एक योग्यता उसका व्यवहार भी होता है।

कोरा भला आदमी और कोरा बुद्धिमान आदमी भी ज्यादा काम का नहीं होता। बुद्धि के साथ बुद्धि की शुद्धि भी आवश्यक होती है। शुद्ध बुद्धि कामधेनु के समान होती है। जिसके बाद बुद्धि का बल होता है, मानों उसके पास विशेष बल होता है। 

दान देना, गुरुजनों के प्रति विनय, सभी प्राणियों के प्रति दया की भावना, और न्यायपूर्ण वर्तन-ये चार प्रकार के सामान्य धर्म बताए गए हैं। आदमी को अपने व्यवहार को धर्मपूर्ण बनाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री मंगल प्रवचन के पश्चात श्री महावीर जैन स्कूल-के.जी.एफ. के बच्चों द्वारा योग की प्रस्तुति दी गई। कन्या मण्डल-के.जी.एफ. ने गीत की प्रस्तुति दी। 

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