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ज्ञान वाणी

मन को सदा रखे शुद्ध : आचार्य श्री महाश्रमण

मन को सदा रखे शुद्ध : आचार्य श्री महाश्रमण
माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में ठाणं सुत्र के दूसरे अध्याय के 460वें श्लोक में मन परिचालना का संदर्भ आता है| बारह देवलोकों में 10 इंद्र होते हैं| देव जगत में कुल इन्द्रों की संख्या 64 होती हैं| 9वें-10वें तथा 11वें-12वें देवलोक में देवों की कामेच्छा मन से ही पूरी हो जाती हैं| उनमें सहज उच्चता होती है| उन देवों में समव्यवस्था भी होती है|
  आचार्य श्री ने आगे फरमाया कि हम मन पर विचार करें| मन सभी समनस्क मनुष्यों में, पंचेन्द्रिय तिर्यंच, देव तथा नारकों में विधमान होता हैं| हम मन से स्मृति, कल्पना, चिंतन व विचार करते हैं| हमारा मन दुर्मना ना रहे, सुमना रहे| हमारा मन खराब न हो, पवित्र रहे|
     *प्रभु को मन में बैठा लेने से मन बनता निर्मल
    आचार्य श्री ने आगे फरमाया कि हम मन को सदा शुद्ध रखने का प्रयास करें| हार के आगे उपसर्ग लगने से शब्द का अर्थ बदल जाता है | हार के पूर्व यदि वि लगे तो विहार, उप लगे तो उपहार, स लगे तो संहार व प्र लगे तो प्रहार बन जाता है| हमारे मन में अनपेक्षित व अनामंत्रित विचार आते रहते हैं| अपेक्षा है, हम वीतराग व अर्हतों का स्मरण करें, जिससे हमारा मन पवित्र बन जाए| मन में प्रभु को बैठा लें तो मन निर्मल बन सकता है| निर्मलता की स्थिति प्रादुर्भाव हो सकती हैं| तो हम अपने मन को एकाग्र, निर्मल, पवित्र, सुवासित व आत्म चिंतनमय बनाने का प्रयास करते रहें|
   आचार्य प्रवर ने आचार्य तुलसी द्वारा विरचित गीत “प्रभु म्हारे मन मंदिर में पधारो”  का भाव पूर्ण संगान सुन लोग भाव विभोर हो गये|
   अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अन्तर्गत तीसरे दिन “अणुव्रत प्रेरणा दिवस” पर आचार्य श्री ने फरमाया कि अणुव्रत के छोटे छोटे नियमों की आचार संहिता को अपना कर आजीवन त्याग करना बड़ा महत्वपूर्ण हो जाता हैं|
  *अशाकाहारी भोजन, शराब से रहे दूर
   आचार्य श्री ने अभातेयुप के 52वें राष्ट्रीय अधिवेशन में समागत युवाओं को पावन प्रेरणा देते हुए कहा कि युवा देश-विदेश कहीं भी जायें, होटल में मिला-जुला या अशाकाहारी भोजन न करें व न ऐसी दवाइयों का सेवन करें| शादी हो या व्यावसायिक मीटिंग युवा शराब न पिये|
    *अपने संकल्प के साथ न करे समझौता
    आचार्य श्री ने आगे फरमाया कि आदमी अपने संकल्प के साथ कभी समझौता न करें|युवा सम्यक्त्व दीक्षा स्वीकार करें| वह जीवन का सुरक्षा कवच बन सकता हैं|  नमस्कार महामंत्र का प्रतिदिन जप अवश्य करे| स्वयं अणुव्रती बने, बनाने का प्रयास करें, यह यथोचित काम्य हैं|
    *अपनी शक्ति का करे सदुपयोग
          अभातेयुप द्वारा आचार्य श्री महाप्रज्ञ प्रतिभा पुरस्कार एवं आचार्य महाश्रमण युवा व्यक्तित्व पुरस्कार प्राप्तकर्ता व्यक्तित्व के साथ युवाओं को विशेष पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि आदमी को जीवन में कुछ विशेष करने का प्रयास करना चाहिए| अपनी शक्ति का सदुपयोग हो| जीवन में बौद्धिक विकास हो| शरीर चाहे दुबला पतला हो, लेकिन व्यक्ति अपने बौद्धिकता के कारण वह अपना विशिष्ट स्थान बना सकता हैं| पुरस्कार प्राप्त करने वाले ओर ज्यादा अपने आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर प्रशस्त हो|
 
  *धर्मसंघ की सेवा के लिए रहूंगा तत्पर
   आचार्य महाश्रमण युवा व्यक्तित्व पुरस्कार से सम्मानित डॉ महावीर गोलेच्छा ने अभातेयुप द्वारा प्रदत इस पुरस्कार को उन्होंने आचार्य श्री महाश्रमणजी के पावन आशीर्वाद का ही परिणाम बताया| आज का दिन मेरे लिए महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि मुझे आज तक मिले सभी सम्मानों में मेरे लिए यह श्रेष्ठ सम्मान हैं, कि स्वयं मेरे धर्मसंघ ने मुझे सम्मानित किया| मैं आचार्य श्री महाप्रज्ञजी और महाश्रमणजी का कृतज्ञ हूँ, कि उन्होंने मेरे व्यक्तित्व और कर्तृत्व का निर्माण किया| मैं सदैव धर्मसंघ की सेवा के लिए तत्पर रहूंगा|
  आचार्य श्री महाप्रज्ञ प्रतिभा पुरस्कार से सम्मानित श्री इन्द्र बेंगानी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी|    अभातेयुप उपाध्यक्ष श्री मुकेश गुगलिया ने श्री इन्द्र बेंगानी एवं अभातेयुप उपाध्यक्ष पंकज डागा ने डॉ महावीर गोलेच्छा को प्रदत प्रशस्ति पत्र का वाचन किया|
   अभातेयुप राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विमल कटारिया ने स्वागत भाषण देते हुए पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं का परिचय देते हुए कहा कि डॉ महावीर गोलेच्छा को संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, आस्ट्रेलियाई इत्यादि देश विदेश से करीब 30 पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं| वे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के साथ कार्य कर चुके हैं| अधिवेशन के केन्द्रीय संयोजक एवं राष्ट्रीय सहमंत्री श्री रमेश डागा ने अपने विचार रखे| अभातेयुप महामंत्री श्री संदीप कोठारी ने अभातेयुप गतिविधियां निवेदित करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया|
    अभातेयुप पदाधिकारी, आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति एवं पुरस्कार दानदाताओं ने पुरस्कार प्रदान किये| तपस्वीयों ने आचार्य प्रवर के श्रीमुख से तपस्या का प्रत्याख्यान किया|
    *✍ प्रचार प्रसार विभाग*
*आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नई 
 

           स्वरूप  चन्द  दाँती
विभागाध्यक्ष  :  प्रचार – प्रसार

आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति

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