*🌧️विंशत्यधिकं शतम्*
*📚📚📚श्रुतप्रसादम्🌧️*
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मन के बिना
सिर्फ वचन काया से
तीव्र कर्मबंध नही होता.!
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*वचन,*
*काया के बिना,*
*सिर्फ अकेला मन*
*अतितीव्र कर्मबंध हेतु समर्थ हैं.!*
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विवेकहीन
जीव के लिए तो
मनोनिग्रह दुष्कर ही है
लेकिन
निकट भव
मोक्षगामी एवं
विवेक संपन्न के लिए भी
मन का नियंत्रण मुश्किल हैं.!
🤔
दुर्गति एवं
संसार के मूलरूप
ऐसा कोई दुख नहीं है
जिसका कारण मन न हो.!
🏴
मन,
पवन एवं
धजा से भी
अधिक चंचल हैं.!
✅
समस्त
धर्माचरणो का
एक ही उद्देश्य है
मन का निग्रह करना.!
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*जिस स्थान,*
*व्यक्ति के संग से,*
*मन बिगड़े ऐसे व्यक्ति*
*स्थान को छोड़ देना चाहिए.!*
*_📒श्री मनोनिग्रह कुलकम्_*
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*तत्त्वचिंतन:*
*मार्गस्थ कृपानिधि*
*सूरि जयन्तसेन चरण रज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर