चेन्नई. वडपलनी जैन स्थानक में विराजित उपप्रवर्तक श्रुतमुनि ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमें मनुष्य जन्म तो मिला पर मानवता का अभाव है। मानवता के अभाव के कारण जीव संसार में परिभ्रमण कर रहा है।
मानवता का अर्थ मानव में दया का भाव, करुणा, वात्सल्य, उदारता, सेवा, भक्ति का होना है। कोई कहता है फरिश्ता बनो, कोई कहता है भगवान बनो और कोई कहता है मानव से आगे महामानव बनो, जीओ और जीने दो जैसे नारे शर्ट की पॉकेट पर चिपकाने के बजाय जीवन में उतारना जरूरी है।
मानव चला जाता है लेकिन पीछे से मानवता को याद किया जाता है। उन्होंने कथानकों के माध्यम से समझाया कि सत्संग श्रवण, श्रद्धा और संयम से मनुष्य जन्म को महान बनाया जा सकता है।