इंदौर। भगवान की भक्ति में यदि सबकुछ न्यौच्छावर करना पड़े तो पीछे नहीं रहना चाहिए। जीवन में धर्म व संस्कार के साथ-साथ उपकार की प्रवृत्ति भी बेहद जरुरी है। जिस किसी भी व्यक्ति के जीवन में इन बातों का समावेश होता है, उनके जीवन में दरिद्रता कभी नहीं आती। यह कहा कृष्णगिरि पीठाधिपति, यतिवर्य, राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने।
वे रविवार को यहां ह्रींकारगिरि तीर्थ धाम स्थित श्री नगिनभाई कोठारी चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में ‘मंदी के दौर मेें तेजी का सीक्रेट फार्मूला’ विषयक प्रवचन दे रहे थे। इस प्रवचन कार्यक्रम में उद्योगपति, बिल्डर्स सहित अनेक महिला श्राविकाएं भी मौजूद रहीं। उन्होंने जीवन में धर्म की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए यह भी कहा कि संतों के आशीर्वाद से ही श्रावक-श्राविका से अच्छे कार्य होते हैं।
उन्होंने कहा कि मन में पैदा हुए शुभ भावों पर तुरंत अमल करना चाहिए। वसंतविजयजी ने कहा कि पुण्य, मन और आयुष्य इन तीन चीजों का भरोसा नहीं है, ये तीनों कभी भी बदल सकते हैं। ट्रस्टी विजय कोठारी ने बताया कि हृींकारगिरी तीर्थ धाम प्रतिष्ठापित मूलनायक परमात्मा पार्श्वनाथ की प्रतिमा का विधिकारक हेमंत वेदमूथा मकशी द्वारा 50 दिवसीय 18 अभिषेक रविवार को भी जारी रहा।
आज के लाभार्थी शरद डोसी परिवार रहा। ट्रस्टी जय कोठारी ने बताया कि इससे पहले संत श्रीवज्रतिलकजी की निश्रा में प्रतिक्रमण व सामूहिक भक्तामर मंत्र जाप किया गया। दिव्य भक्ति चातुर्मास पर्व से जुड़े वीरेंद्र जैन ने बताया कि रविवार को बेंगलुरु, तमिलनाडू, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित अनेक प्रदेशों से बड़ी संख्या में आए श्रद्धालूओं ने डॉ. वसंतविजयजी म.सा. से मांगलिक आशीर्वाद प्राप्त किया।