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बुराईयों व कुसंस्कारों का त्याग कर धर्म आराधना में लगें : डॉ. वसंतविजयजी म.सा.

बुराईयों व कुसंस्कारों का त्याग कर धर्म आराधना में लगें : डॉ. वसंतविजयजी म.सा.
इंदौर। कृष्णगिरी शक्ति पीठाधिपति, राष्ट्रसंत, गुरुदेव डॉ. वसंतविजयजी म.सा ने गुरुवार को कहा कि जीवन में बुराईयों व कुसंस्कारों का त्याग कर धर्म आराधना करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देव, गुरु, धर्म के प्रति विश्वास, श्रद्धा व समर्पण भाव रखेंगे तभी जीवन उज्जवल होगा और सही दिशा व मार्ग मिलेगा।
मनुष्य को गुरु व सद्गुरु की सही परख कर जीवन में फैमिली सद्गुरु बनाना चाहिए। श्री नगीनभाई कोठारी चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में हृींकारगिरी तीर्थ धाम में आयोजित दिव्य भक्ति चातुर्मास महोत्सव के दौरान अपने प्रवचन में मां पद्मावती के परम् उपासक, सिद्धसाधक,  यतिवर्य, डॉ. वसंतविजयजी म.सा. बोले कि व्यक्ति वाणी का श्रवण, स्मरण, मनन व चिंतन करते हुए समर्पण से अपने जीवन की शक्तियों को उजागर करें साथ ही परमात्मा की वाणी को अपने जीवन आचरण में उतारें।
चातुर्मास आयोजन से जुड़े वीरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि तीर्थधाम में प्रतिष्ठापित मूलनायक परमात्मा पार्श्वनाथजी की प्रतिमा का 18 अभिषेक विधान लाभार्थी कोठारी परिवार के सौजन्य से सम्पन्न हुआ। विधि कारक हेमंत वेदमुथा मकशी ने संगीतमय प्रस्तुतियों के साथ यह आयोजन सम्पन्न कराया।
ट्रस्टी विजय कोठारी ने बताया कि सुबह के सत्र में संत श्री वज्रतिलकजी की निश्रा में प्रतिक्रमण व भक्तामर मंत्र जापकिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शाम को संगीतमय भक्ति का आयोजन होता है। कोठारी ने बताया कि आज मध्य प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से श्रद्धालुओं ने राष्ट्रसंत श्रीजी के दर्शन-वंदन कर आशीर्वाद का लाभ लिया।

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