जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी महाराज द्वारा परमात्मा के भक्ति सम्बन्धी चर्चा करते हुए कहा गया कि आपके पुण्य स्वरूप भीतर तो महानता विराजमान रहती ही है किन्तु इसी के साथ बाहर भी उत्तम स्वरूप नजर आता है! आपके उपर अशोक वृक्ष शोभाएं मान रहता है! वो इस बात का प्रतीक है कि आपके चरणों मे आने वाले लोगों के तमाम शोक चिन्ता दूर हो जाती है! आपके शरीर की दिव्यता भव्यता सभी को आकर्षित करती रहती है जिसके कारण मानव के साथ साथ पशु जगत देव जगत की आत्माये लगातार आवागमन करती रहती है!
आपके शरीर की अतिशय किरणों से संसार का जैन दर्शन मे अशोक वृष नामक प्रतिहार्य कहते है! आपके समीप आने वाले जीवों के सम्पूर्ण कष्ट समाप्त हो जाते है आपके शरीर के प्रत्येक अंग पुण्य से प्रभावित होने के कारण सभी को लोभयमान करते है! परमात्मा का जीवन दर्शन सभी के लिए प्रेरणा दाई है उनके कथित मार्ग पर चलने से असीम शान्ति का सुख का अनुभव होता है भक्तजन एक दिन स्वयं ही परमपद को प्राप्त कर लेते है! सभा मे साहित्यकार श्री सुरेन्द्र मुनि जी महाराज द्वारा भक्तामर के स्वाध्याय के साथ बड़ी संख्या मे उपस्तिथ भक्तजन के साथ ही बालकों को उदबोधन दिया, बाल सम्मलेन मे बालकों ने धर्म संस्कार प्राप्त किए!