चेन्नई. वेपेरी जैन संघ के तत्वावधान एवं आचार्य वर्धमानसागर सूरी व आचार्य विमलसागर सूरी के सान्निध्य में सोमवार को बुद्धिवीर वाटिका में बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ का जन्मोत्सव मनाया गया।
इस मौके पर विशाल मंच पर तीर्थंकर नेमिनाथ की मूर्ति स्थापित की गई। उसके बाद श्रद्धालुओं ने उनका पंचाभिषेक व पुष्पाभिषेक किया तथा पूजा की और गायकों ने भक्तिरस बरसाया। इस तीन दिवसीय उत्सव के तहत पहले दिन नेमिनाथ का जन्म कल्याणक, मंगलवार को उनका दीक्षा कल्याणक और बुधवार को पाश्र्वनाथ का मोक्ष कल्याणक मनाया जाएगा।
इस मौके पर आचार्य विमलसागर ने कहा जैन इतिहास के अनुसार नेमिनाथ व श्रीकृष्ण चचेरे भाई थे और यादव कुल के अलौकिक व्यकित्व थे। आज से 67617 साल पहले महाराजा समुद्र विजय के घर माता शिवादेवी की कुक्षी से जन्म लेने वाले नेमिनाथ ने 300 वर्ष की आयु में दीक्षा अंगीकृत की थी।
उनकी आयु 1000 वर्ष की थी। गिरनार पर्वत के शिखर पर उनको निर्वाण प्राप्त हुआ था। विवाह की बारात से मुडक़र उन्होंने पशु हिंसा रोकने के लिए संसार त्यागकर दीक्षा ली थी। अपनी मंगेतर के साथ नौ भवों की प्रीति का इस तरह अंत हुआ था।