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बगैर रिश्तों के व्यक्ति का जीवन अधूरा है : साध्वी डॉ. कुमुदलता जी

बगैर रिश्तों के व्यक्ति का जीवन अधूरा है : साध्वी डॉ. कुमुदलता जी

बेंगलूरू। जिंदगी में हर रिश्ता अपने आप में महत्वपूर्ण है। बगैर रिश्तों के इस दुनिया में व्यक्ति का जीवन अधूरा है। जो रिश्तों को निभाते हैं उन्हें जीवन में बहुत कुछ हासिल होता है।

यह कहा विश्वविख्यात अनुष्ठान आराधिका शासन सिंहनी साध्वीश्री डॉ. कुमुदलता जी म.सा. ने। वे बुधवार को यहां वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में ‘रिश्ते बने फरिश्ते’ विषयक प्रवचन में अपना उद्बोधन दे रही थी।

गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में आयोजित चातुर्मासिक दैनिक प्रवचन में साध्वीश्री ने कहा कि हमारे धर्म संस्कृति में हर रिश्ते के पीछे इतिहास छिपा है। चाहे वह जन्म का हो या उसके बाद बना हुआ रिश्ता।

उन्होंने मां बेटे, पिता पुत्र, भाई भाई, देवरानी जेठानी, सास बहू सरीखे रिश्तों के अनेक उदाहरण देते हुए कहा कि हर रिश्ते के साथ एक डोर जुड़ी होती है। इसमें परस्पर प्रेम, समन्वय और गहरा सम्बन्ध होता है। एक व्यापारी एवं ग्राहक तथा मालिक एवं नौकर के रिश्ते को भी उल्लेखित करते हुए साध्वीश्री ने गुरु एवं शिष्य के रिश्ते को सबसे पवित्र एवं सर्वोत्तम बताया।

उन्होंने कहा कि मां जन्म देती है, पिता शिक्षा-संस्कार देते है तथा गुरु जीवन जीना सीखाते हैं। इससे पूर्व सुबह के सत्र में युवकों के लिए आयोजित विशेष कक्षा में डॉ. कुमुदलता जी ने कहा कि तीर्थंकरों की स्तुति से कर्मों की निर्जरा होती है तथा जिन शासनदेव हमारे हर प्रकार के संकट टालते हैं।

जीवन में दिशाओं की मर्यादाओं एवं वास्तु कला पर भी विस्तृत विचार उन्होंने रखे। साध्वी श्री महाप्रज्ञाजी ने भक्तामर स्तोत्र का सुमधुर वाचन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। साध्वी श्री डॉ.पदमकीर्ति जी ने सुख विपाक सूत्र का वाचन करते हुए हर परिस्थिति में व्यक्ति को खुश रहने की प्रेरणा दी।

उन्होंने कहा कि कभी खुशी कभी गम के सहारे ही सांसारिक व्यक्ति की दुनियावी गाड़ी चलती है। डॉ. पदमकीर्ति जी ने सुखी और निरोगी तन, मन के लिए योग, प्राणायाम व ध्यान की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला।

साध्वीश्री राजकीर्ति जी भी मंच पर मौजूद थे। समिति के महामंत्री चेतन दरड़ा ने बताया कि साध्वीवृंद के सामूहिक मंगलाचरण वाचन से धर्मसभा प्रारंभ हुई। उन्होंने बताया कि गत वर्ष उपाध्यायप्रवर श्री रविंद्रमुनिजी के चातुर्मास आयोजक रहे व उपाध्याय जी द्वारा ही “समाजभूषण” पद से नवाजे गए गौतमचंद धारीवाल का समिति पदाधिकारियों द्वारा सम्मान किया गया।

समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि इस अवसर पर आदर्श ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के पूर्व अध्यक्ष, प्रमुख समाजसेवी हस्तीमल सिसोदिया, शांतिलाल पोकरना, हनुमंतनगर संघ के अध्यक्ष हुकमीचंद कांकरिया सहित शहर के विभिन्न उपनगरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालूओं ने भाग लिया।

रांका ने बताया कि जय जिनेंद्र प्रतियोगिता के विजेताओं में क्रमश: महेंद्र डोषी, चंद्रा बोहरा व पुष्पा चौपड़ा को पुरस्कृत किया गया। अशोक कुमार गादिया ने संचालन किया। सभी का आभार युवा समिति के अध्यक्ष राजेश गोलेछा ने जताया।

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