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प्रायश्चित भी एक प्रकार का तप: महासती मुदितप्रभाजी

प्रायश्चित भी एक प्रकार का तप: महासती मुदितप्रभाजी

चेन्नई. पिुदगल के प्रति आशक्ति जिण ओर र्शीण बने किलपॉक विराजित जिन शासन की पुकार प्रवचन माला में प्रावाधिराज पर्युषण पर्व के चतुर्थ दिवस तप दिवस पर पुज्या महासती जी मुदितप्रभा जी ने अपने अति रोचक उदबोधन फरमाते हुए कहा है आत्मन शरीर जड़ है। तू चेतना है।

शरीर पुदगल निमिर्त है। और तू चेतना की अदभुत शक्ति है। मेरी चेतन्य शक्ति सुद्र्ढ बने। पुदगल के प्रति आशक्ति जिण ओर र्शीण बने। आज चौथा दिवस तप दिवस के रूप में आया है। मेल – मल को बढाता है। तन का मेल व वस्त्र का मेल साबून से साफ किया जा सकता है। आत्मा का मेल कर्म है और आत्मा जीवन शाक्ति है। कर्म उस पर लगने

वाला मेल है। आज का दिवस आत्मा पर लगे कर्मो को धोने का दिवस है। भगवान ने आत्मा को धोने के कई उपाय बताए है। तपस्या का तात्पर्य शरीर को तकलिब देना नही है। अर्थात इसका लक्ष्य शरीर के साथ

अलगाव को देख सकते है। पुदगल अलग है अंतरआत्मा अलग है। आत्मा को धोने के 12 तप बताये गए है। अनशन, अनोदरी, भिक्षाचर्या ,रसपरित्याग, कायाक्लेश, प्रतिसिलीनता, प्रयाशिचयत, विनय, वेयावत्य, स्वाध्याय, ध्यान कार्योत्सग,इस पाकर भगवान ने 12 साबुन आत्मा को धोने का बताये। यदि दुध को गर्म

करना है तो पहले दुध वाले बर्तन को गर्म करना होगा उसी प्रकार हमें भी तपस्या से ही आत्मा को तपा कर हमारे द्वारा हुए पापो का प्रयाशचीत करना भी तपस्या है। स्वाध्याय एक ऐसा साबुन है जो हमारी बुरी आदतों को धो देता है। इन्द्रियों को सीमित करना ही तप है। कर्मो का शय करना है तो हमे तप करना ही होगा। आस्था का सुर्य उदित हो गया है। अब आचरण की किरण को जीवन मे लाना है।

यदि हमारा दृष्टिकोण सही बनेगा तो हमारा आचरण सही बनेगा।हमारा आचरण भी आदर्श बने और दीपक बनकर चारो और रोशनी बढ़ाये। तप ही आत्मा को शुद्ध करने का पर्व है। अपने सार्थक संबोधन में महासती श्री इंदुबलाजी ने जीवन पर्यंत साधना और सामायिक को श्रेष्ठ बताते हुए कहा कि जीवन की विकृतियों को तप से ही नियन्त्रित किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि केवल मनुष्य ही विश्व में एकलौता प्राणी है जो मोक्ष प्राप्त कर सकता है। इस चातुमार्स प्रराभ से पचोला की लड़ी व कई बड़ी तपस्या चल रही है । रविवार को सामुहिक दया का आयोजन रखा गया है। अन्त में पुज्या महासती श्री इंदुबाला जी ने मंगलपाठ सुनाया।

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