चेन्नई. अयनावरम जैन भवन में साध्वी नेहाश्री ने चातुर्मासिक प्रवचन में रविवार को कहा कि जीवन की सादगी और विचारों की उच्चता मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए। हमें व्यवहार मे ऐसी चीजों का उपयोग नहीं करना चाहिए जो दूसरों को अच्छीलगे, ब्रांडेड लगे।
हमें अपने जीवन को देखना है कि वह ब्रांडेड है या नहीं और वह दूसरे की नजरों में कैसा है। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि लोग हमें पहचानें बल्कि यह सोचना चाहिए कि लोग हमें चाहें।
उन्होंने कहा महात्मा गांधी को लोग इसलिए पसंद करते थे क्योंकि उनका जीवन ब्रांडेड था। प्रदर्शन जीवन का ध्येय नहीं होना चाहिए। इससे धन का दुरुपयोग होता है। बल्कि जरूरतमंद साधर्मी और अन्य भलाई के कार्यों में धन का उपयोग करें।
उन्होंने कहा जीवन को ब्रांडेड बनाना हो तो अहिंसा को स्थान दें, प्रदर्शन कम करके आत्मदर्शन करें, रूढियों और आडम्बरों से बचें। शरीर की शोभा आत्मा को सुंदर बनाने से है गहनों से नहीं। चक्रवर्ती भरत ने गहनों को छोड़ आत्मा को याद किया और केवलज्ञान को प्राप्त कर लिया।