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पुरूषार्थी व्यक्ति ही अपनी यश अर्जित को बढ़ा सकता है भाग्य के भरोसे बेठा व्यक्ति नहीं बढ़ा सकता है–महासती धर्मप्रभा

पुरूषार्थी व्यक्ति ही अपनी यश अर्जित को बढ़ा सकता है भाग्य के भरोसे बेठा व्यक्ति नहीं बढ़ा सकता है–महासती धर्मप्रभा

Sagevaani.com @चैन्नई। संसार में रहकर भी पुरूषार्थ और यश अर्जित नहीं किया वह व्यक्ति मरे हुए के समान है। गुरूवार को जैन भवन के मरूधर केसरी दरबार मे महासती धर्मप्रभा ने श्रध्दांलूओ को धर्म उपदेश प्रदान करतें हुए कहा कि पुरूषार्थी व्यक्ति ही जीवन मे यश अर्जित करता है।

वह स्वयं को ही नहीं अपितु अपने परिवार,समाज अथवा देश को गौरवान्वित करता है। भाग्य के भरोसे बैठे रहने से जीवन मे सफलता प्राप्त नहीं होती है,और नाहि वो अपने भाग्य को बदल सकता है। समय बड़ा अनमोल है एक बार हाथ से निकल गया तो दुबारा से समय को नहीं पकड़ सकते है। अंत समय मे र्सिफ पश्चाताप के अलावा कुछ नहीं बचने वाला है। इन सांसो के थम ने और इस शरीर को छोड़कर जाने पहले व्यक्ति चैत जाता है और पुरूषार्थ पुण्य का संचय कर लेता है तो वह संसार में अपनी यश किर्ती को बढ़ा सकता है और अपनी आत्मा को सदगिती दिला सकता है।

इस दौरान साध्वी धर्मप्रभा एवं साध्वी स्नेहप्रभा ने श्रमण संघ युवार्चाय महेन्द्र ऋषि जी महाराज के जन्म दिवस पर भजन के माध्यम से गुणागान कियें थे। साहूकार पेट श्री एस.एस.जैन संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देतें हुए बताया धर्मसभा मे चैन्नई अम्बतूर श्री संघ के गौतम चन्द पोखरना, महावीरचन्द बरमेचा, अशोक पोखरना का श्रीसंघ के महामंत्री सज्जनराज सुराणा, शांतिलाल दरड़ा, शम्भूसिंह कावड़िया, पृथ्वीराज वाघरेचा, जंवरीलाल कटारिया ने स्वागत किया और युवार्चाय महेन्द्र ऋषि जी के जन्मदिवस पर धर्मसभा विचार व्यक्त किए।

प्रवक्ता सुनिल चपलोत

श्री एस. एस. जैन संघ साहूकार पेट चैन्नई

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