पार्श्वनाथ जयन्ती पर जप-तप के साथ की स्तुति
महातपस्वी शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती, उग्रविहारी, तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमारजी ठाणा 3 के सान्निध्य में पार्श्वनाथ जयंती का भव्य आयोजन तण्डियारपेट स्थित मंडोत गार्डन में हुआ। इस अवसर पर धर्म परिषद् को संबोधित करते हुए मुनि श्री कमलकुमारजी ने फरमाया कि आज जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म कल्याणक हैं। तीर्थंकरों के पांच कल्याणक होते है, उनमें दूसरा कल्याणक जन्म कल्याणक होता हैं।
तीर्थंकर नाम गोत्र का बन्ध जिसके होता है, वह तीर्थंकर बनता है। तीर्थंकर जन्म से तीन ज्ञान – मति ज्ञान, श्रुत ज्ञान व अवधि ज्ञान से संपन्न होते हैं। भगवान पार्श्वनाथ के जीवन वृतांत को प्रस्तुत करते हुए मुनि श्री ने कहा कि पार्श्वनाथ बचपन से ही श्रमशील, कर्तव्य परायण व स्वावलम्बी थे। एक बार पार्श्वनाथ दीक्षा से पूर्व भ्रमण कर रहे थे तो एक स्थान पर एक तापस पंचाग्नि तप कर रहा था। लकड़ियों के बीच एक नाग के जोड़े को उन्होंने अपने अवधि ज्ञान से झुलसते हुए देखा।
उस तापस को रोका और जलते हुए नाग-नागिन को को अंतिम समय में नमस्कार महामंत्र का स्मरण कराया। समतामय रहते हुए प्राण त्याग कर नाग का जोड़ा देव गति को प्राप्त हुआ और पार्श्वनाथ के अधिष्ठायक देवी-देवता पद्मावती व धरणेन्द्र बना। भगवान पार्श्वनाथ ने अहिंसा का संदेश जन-जन को प्रदान किया। चौबीस तीर्थंकरों में सबसे अधिक मंदिर में मूर्तियां भगवान पार्श्वनाथ की मिलती है, इससे यह प्रतीत होता है कि भगवान पार्श्वनाथ की लोकप्रियता बहुत अधिक है।
मुनिश्री जी ने आगे कहा कि सभी व्यक्ति संस्कृति व संस्कारों से अपनी आत्मा को भावित करे तो निश्चित रूप से विकास के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं। पुरुषार्थ करने वाला यथार्थ को प्राप्त करता है। जैन धर्म में हर आत्मा अपनी साधना व पुरुषार्थ से परमात्मा बन सकती हैं। साधना स्वयं के लिए की जाती है, औरों के लिए नहीं। पार्श्वनाथ जयन्ती के दिवस पर मुनि श्री द्वारा जप का प्रयोग करवाया गया और जप व तप करने की प्रेरणा उपस्थित धर्म सभा को प्रदान की गई।
मुनिश्री अमनकुमारजी ने भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति में एक सुंदर गीतिका का संगान कर वातावरण को पार्श्वमय बना दिया। मुनि श्री नमिकुमारजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए पौष वदी दशम से तेले का अनुष्ठान कर जप प्रारंभ करने की प्रेरणा प्रदान की।
इस अवसर पर तेरापंथ सभा के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड़, तण्डियारपेट तेरापंथ ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी श्री इंदरचंद डूंगरवाल, वरिष्ठ श्रावक श्री तेजराजजी पुनमिया, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती शांति दुधोड़िया, जैन तेरापंथ नगर के अध्यक्ष श्री अशोक ने अपनी भावनाएं वक्तव्य के माध्यम से प्रस्तुत की। तप प्रत्याख्यान के पश्चात मुनि श्री द्वारा प्रदत मंगल पाठ से कार्यक्रम संपन्न हुआ। उपरोक्त जानकारी श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के प्रचार प्रसार प्रभारी स्वरुप चन्द दाँती ने दी।
-: प्रचार प्रसार प्रभारी :-
स्वरुप चन्द दाँती
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई