चेन्नई. न्यू वाशरमैनपेट जैन स्थानक में विराजित साध्वी साक्षीज्योति ने कहा तीर्थंकर महापुरुषों की शरण पुण्य के प्रभाव से ही मिलती है। उनके वचनों का ऐसा प्रभाव पडता है कि संसार की अज्ञान निद्रा में सोया जीव जाग्रत होकर जीवन को सार्थक करने लगता है।
संतों का सान्निध्य आत्मजागरण का निमित्त बनता है अत: संतों की शरण में रहने का पुरुषार्थ करें। संत सान्निध्य सदा बुराई से बचने का कारण होता है। बुरे व्यक्ति को बुराई करने की आदत होती है। उससे बुराई की आदत को छुड़ाने का प्रयास संत ही करते हैं। अच्छे व्यक्ति को अपनी अच्छाइयों को लगातार बढ़ाना चाहिए। बुरे काम करने वाला जीवन में कभी शांति नहीं पा सकता।
अत: सदग्रही बनें। महापुरुषों के कुछ ही शब्द ही व्यक्ति के जीवन को परिवर्तित करने में समर्थ होते हैं। अत: मन लगाकर संत वचन का श्रवण करें। संजय दुगड़ ने बताया कि 30 जुलाई से आचार्य आनंदऋषि की जयंती के उपलक्ष्य में त्रिदिवसीय कार्यक्रम होगा।
पहले दिन मंगलवार को प्रश्नमंच, अगले दिन बुधवार को सजोड़े जाप और एक अगस्त को पचरंगी सामायिक, एकासन एवं आचार्य आनंदऋषि का गुणगान किया जाएगा।