चेन्नई. किलपॉक स्थित कांकरिया हाउस में साध्वी इंदुबाला के सान्निध्य में मंगलवार को सागरमल मुनि की पुण्यतिथि तप आराधना के साथ मनाई गई। साध्वी इंदुबाला ने सागरमल मुनि के जीवन और गुणों पर प्रकाश डाला।
साध्वी मुदितप्रभा ने युवाओं की प्रवचन माला जिनशासन की पुकार में आत्मा का ज्ञान और आत्मा का विज्ञान पर उद्बोधन देते हुए कहा कि हमें खुद से पूछना चाहिए कि मैं कौन हूं? हमें अपने स्वभाव को जानना है।
जो जीव व अजीव दोनों की पहचान कर लेता है वह पाप कर्म से बच जाता है। हमारा प्रथम लक्ष्य स्वयं को जानने का होना चाहिए। उन्होंने कहा जब तक छह द्रव्यों को नहीं जान पाओगे तब तक नहीं पता चलता है कि हम क्या सही कर रहे हैं और क्या गलत।
आत्मा का कोई रंग व आकार व रस नहीं होता है। आत्मा का रस भीतर से जग जाए तो संसार के सारे रस बेकार लगने लग जाएंगे। साध्वी इंदुबाला ने मांगलिक प्रदान की। यह विज्ञप्ति किलपॉक संघ के अध्यक्ष सुगंचन्द बोथरा ने दी।