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नवपद साधना से होती है देव, गुरु और धर्म की आराधना

चेन्नई. उपप्रवर्तक विनयमुनि की 50वीं दीक्षा स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में गौतममुनि, संजयमुनि, फूलमुनि और सागरमुनि की प्रेरणा से वर्धमान गुरु कमल कन्हैया विनय कबूतर सेवा समिति ने पूरे देश में नवपद साधना 1008 यंत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया।

प्रतियोगिता में करीब 1400 लोगों ने भाग लिया और लेखन के साथ ही नवपद जाप किया। देश के विभिन्न क्षेत्रों में नवपद प्रेरक के माध्यम से पुस्तकें भी भेजी गई।

प्रतियोगियों ने पुस्तकों में विभिन्न प्रकार की डिजाइन से जैन धर्म के सिद्धांतों और चिन्हों को दर्शाया। विनयमुनि ने कहा नवपद की आराधना एक ऐसी अनुपम आराधना है जिससे देव, गुरु, धर्म तीनों की आराधना हो जाती है। इसके पहले दो पद देवता है बीच के तीन पद गुरु तत्व है और अंतिम चार पदों में धर्म तत्वों का समावेश है। यह जाप मनुष्य के कष्टों को दूर करने वाला होता है। इसकी साधना से सुख शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार लाली देवी नौलखा, पाली, द्वितीय पुरस्कार ज्योति जैन इंदौर और ताराचंद जैन, पाली, तृतीय पुरस्कार सुनीता डांगी लिंबायत व सुचिता बोहरा चेन्नई को दिया गया। इसके अलावा 11 सांत्वना पुरस्कार भी प्रदान किए गए।

इस मौके पर संस्था के चेयरमैन स्वरूपचंद कोठारी, अध्यक्ष नथमल दूगड़, मंत्री ज्ञानचंद कोठारी और कोषाध्यक्ष अनिल श्रीश्रीमाल उपस्थित थे। प्रतियोगिता के चेयरमैन गौतमचंद दुगड़ और चेयरमैन महावीर मधुरम, शांतिलाल खींवसरा, उर्मिला साकरिया का सहयोग रहा।

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