चेन्नई. जब कोई साधक सच्चे दिल से साधना के प्रति समर्पित हो जाता है तो उसकी साधना सिद्धि में बदल जाती है। नवकार महामंत्र के महान आराधक थे- उपाध्याय पुष्कर मुनि जी म.। यह विचार ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. वरुण मुनि ने जैन भवन साहुकारपेट में दक्षिण भारत स्वाध्याय संघ द्वारा आयोजित गुरु पुष्करजयंति के पावन अवसर पर आयोजित धर्म समा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा उपाध्याय प्रवर पुष्कर मुनि एक महान विद्वान, प्रवचनकार एवं साहित्यकार संत थे। मेरे दादा गुरुदेव भण्डारी पदम चन्द्र म. एवं आराध्य गुरुदेव प्रवर्तक अमर मुनि का अनेक बार अनेक स्थलों पर मधुर मिलन व धर्म सभा का एक साथ आयोजन हुआ। गुरुदेव ने कहा उपाध्याय पुष्कर मुनि ने जैन कथाओं के नाम से एक सौ ग्यारह पुस्तकों की सुविशाल श्रृंखला तैयार करवाई, जो बहुत ही रोचक, मनोरंजक, सरल, सरस एवं शिक्षा प्रद ‘हैं।
उपाध्याय श्री के सुशिष्य आचार्य सम्राट देवेन्द्र मुनि, प्रवर्तक गणेश मुनि उपाध्याय रमेश मुनि जैसे संत हैं व बहुत विशाल प्रशिष्य परिवार पूरे भारत वर्ष में जिन शासन की महान प्रभावना कर रहा है। उपाध्याय श्री के जीवन एक विशेषता थी कि वे अपनी जप साधना एक निश्चित समय पर प्रतिदिन करते थे। जिसके फलस्वरूप उनके जीवन में अनेक चमत्कार प्रगट हो गए थे। श्री दक्षिण भारत स्वाध्याय संघ की ओर से स्वाध्याय करवाने भाई – बहनों का सम्मान किया गया। पद्म प्रकाशन, नरेला मण्डी दिल्ली की ओर से उन्हें सचित्र कल्प सूत्र भेंट किए गए।
संघ संरक्षक सिद्धेचंद लोढ़ा, सज्जनराज मेहता, स्वाध्याय संघ के अध्यक्ष लाभचंद खारीवाल ने आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। श्रीसंघ के मंत्री शांति लाल लुंकड़ ने कार्यक्रम का संचालन किया। नवपद ओली जी आराधना के अंतिम दिवस पर श्रीपाल मैना सुंदरी चरित्र का समापन हुआ। श्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि ने आयंबिल ओली करने वाले तपस्वियों को तप के प्रत्याख्यान करवाए।