चेन्नई. आचार्य विमल सागर सूरी ने कहा कि अपने आत्म गौरव और धर्म गौरव को मरने मत दो। जब आत्म गौरव और धर्म गौरव नीलाम होता है, तब धर्म परिवर्तन होता है। भारतीय संस्कृति के महान अवदानों और अपने सात्विक जीवन को नष्ट होने से बचाएं।
इस दौर में हिंदू एवं जैन दोनों धर्म परम्पराएं खतरे में हैं। धर्म निष्ठा कमजोर बन गई है। चमत्कारों के नाम पर अनेक दुकानदारियां चल रही हैं। धन, सुख-सुविधा व चमत्कारों के पीछे लोग धर्म को भूलते जा रहे हैं। एसपीआर सिटी कुक्स रोड स्थित संभवपुरम में जैनाचार्य ने प्रवचन में कहा कि हर हिंदू व जैन को सबसे पहले इतिहास पढऩा चाहिए। आज नई पीढ़ी को गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है।
हिंदू व जैन परम्परा की मूल बातें खंडित की जा रही है। गरीबों का नासमझी में धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। नासमझ हिंदू व जैन धन, सुख, शांति, संतान और सफलता की कामना में इधर-उधर भटक रहे हैं। मानसिक, वैचारिक इस दरिद्रता को रोकना होगा।
उन्होंने कहा कि जितने मुसलमान, ईसाई, यहूदी, सिख अपनी मान्यता में पक्के हैं, उतने हिंदू व जैन नहीं। दोगले व उदारवादी हिंदू और जैनों ने अपना बेहिसाब नुकसान किया है। हम सभी अपनी मानसिक गुलामी की तरफ आगे बढ़ गए हैं। इस दौर में अनेक हिंदू व जैन संत भी समाज को भटका रहे हैं।