आचार्य महाश्रमण ने सोमवार को कहा कि हमें जीवन में कभी धर्म को नहीं छोडऩा चाहिए और सदैव मर्यादाओं का पालन करना चाहिए।
आचार्य ने यह बात कोडेशिया ट्रेड फेयर के ब्लाक डी में आयोजित जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के महाकुंभ तीन दिवसीय 155 वें मर्यादा महोत्सव के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही।
आचार्य ने कहा कि हमारे जीवन में आराधना का महत्व संयम, मर्यादा और सम्यक का पालन करना है। मर्यादाओं की याद बार-बार दिलानी चाहिए ताकि उसके अनुपालन में शिथिलता न आए। आगमों के आज्ञा की सम्यक आराधना करनी चाहिए। इन्हें आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में आचार्य ही संघ में सर्वोच्च होते हैं। उनकी आज्ञा का सम्यक आराधना का प्रयास करना चाहिए। आचार्य ने कहा कि आज्ञा की आराधना में तेरापंथ उदाहरणीय है। श्रावक-श्राविकाओं को भी आज्ञा का अनुपालन करना चाहिए। मर्यादाओं के पालन के लिए हमेशा जागरूक रहना चाहिए। आचार्य ने पदारोहण दिवस पर आचार्य महाप्रज्ञ को याद किया।
इससे पहले मर्यादा महोत्सव के दूसरे दिन कार्यक्रम की शुरुआत आचार्य के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ हुई। उसके उपरांत उपासक-उपासिकाओं द्वारा गीत का संगान किया गया। मुमुक्षुओं ने भी गीत का संगान किया गया। साध्वी सम्बुद्धयशा ने श्रावक के तीन गुणों को बताया। मुख्य मुनि महावीर कुमार ने कहा कि हमें शास्त्रीय व संघीय, दोनों मर्यादाओं और नियमों का पालन करना चाहिए।
उन्होंने आचार्य तुलसी के गीत का संगान किया। आचार्य ने आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी समारोह समिति के अध्यक्ष के रूप में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष हंसराज बेताला को मंगलपाठ सुनाया। बेंगलूरु चातुर्मास 2019 समिति के अध्यक्ष मूलचंद नाहर ने भी अपने भावों की अभिव्यक्ति दी।
साथ ही गीत और बैनर का लोकार्पण भी किया गया। वर्ष 2020 मर्यादा महोत्सव, हुब्बल्ली के श्रद्धालुओं की ओर से भी प्रस्तुति दी गई। इस्कॉन मंदिर के संन्यासियों की टीम ने भी आचार्य के दर्शन किए।
इस मौके पर महासभा की ओर से 141 लोगों को संबोधन अलंकरण प्रदान किया गया। तीन दिवसीय महोत्सव का समापन मंगलवार को होगा। दक्षिण भारत में पहली बार इस महोत्सव का आयोजन हुआ है।