केंद्रीय राज्यमंत्री सुनील सिंघी ने लिया संतश्री का आशीर्वाद
इंदौर। धर्म करने से पहले धर्म को जानना व समझना जरूरी है। धर्म के अर्थ को सही रूप में नहीं समझने की वजह से ही हमारा युवा वर्ग धर्म से विमुख हो रहा है।
धर्म में विज्ञान जुड़ता है तो हमारी आस्था बढ़ती है। यह कहा कृष्णगिरी तीर्थ धाम के शक्तिपीठाधीपति राष्ट्रसंत यतिवर्य डॉ.वसंतविजयजी ने। वे यहां न्यू पलासिया रोड स्थित बास्केटबॉल स्टेडियम में सोमवार को “जीवन परिवर्तनकारी प्रवचन” के तहत अपना उद्बोधन दे रहे थे।
सूर्य प्रज्ञप्ति व चंद्र प्रज्ञप्ति आगम परमात्मा का उल्लेख एवं चतुर्दशी तिथि की महिमा को विस्तार से समझाते हुए वसंतविजयजी ने कहा कि सत्य को और विज्ञान को प्रमाणित करने की कोशिश की जा सकती है, परमात्मा के धर्म को नहीं। संतश्री ने धर्म को आज्ञा व सर्वज्ञ बताया।
साथ ही उन्होंने कहा कि धर्म करते हुए व्यक्ति को प्रमाणिकता की नहीं बल्कि श्रद्धा की आवश्यकता है। यतिवर्यजी ने कहा कि जो श्रद्धावान धर्मालु है वही मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। राष्ट्रसंतश्रीजी ने कहा कि धर्म की एक-एक क्रिया को व कारण को जानने की आवश्यकता है। जैन धर्म को वैज्ञानिक धर्म बताते हुए उन्होंने आगे कहा कि पाश्चात्य वैज्ञानिक और हजारों वर्ष पूर्व भगवान महावीर जो कह गए वही ब्रह्मांड का प्रतिरूप सत्य है।
सर्वधर्म दिवाकर संतश्री डॉक्टर वसंतविजयजी ने कहा कि धर्म एक व्यवस्था है हमारे पूर्वजों ने एक व्यवस्था रखी थी उसे आज के लोगों ने अलग-अलग रूपों में पंथो में बांट दिया है। पंथ गछ मुक्त होकर भी सेवा की जा सकती है। राष्ट्रीय स्तर पर इंदौर के महिला मंडल द्वारा इस प्रकार के सेवाभावी योगदान की अनुमोदना करते हुए संतश्री ने कहा यह कार्य वैश्विक स्तर पर समाज के लिए प्रेरणादायक है।
उन्होंने जैसी करनी वैसी भरनी प्रसंग के एक उदाहरण के साथ कहा कि आज की व्यवस्था को नहीं, धर्म को सुधारने की जरूरत है। धर्म सुधरेगा तो व्यक्ति की व्यवस्था स्वतः सुधर जाएगी। उन्होंने कहा 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने भावमय जीवन सिखाया, जगत के समस्त जीव दया का पाठ पढ़ाया और मन को कैसे पकड़ना है, यह सिखाया।
लेकिन द्रव्य मय भाव अब बताए जा रहे हैं। अनेक सूक्ष्म रहस्यों को, धर्म के सिद्धांत को विस्तार से परिभाषित करते हुए डॉ वसंतविजयजी ने श्रावक को परमात्मा के सामने नाटक नहीं विवेकपूर्ण श्रद्धावान बनने की प्रेरणा दी। उन्होंने यह भी कहा कि परमात्मा की वाणी सुनकर उसे जीवन में उतारने पर निश्चित ही आनंद की अनुभूति होगी। संतश्री वज्रतिलकजी भी धर्म सभा में मौजूद थे। दीपक करणपुरिया ने कार्यक्रम का संगीतमय प्रस्तुतियों के साथ संचालन किया।
“भक्ति की है रात बाबा आज थाने आणो है…”
भैरव भक्ति में झूमे श्रद्धालु
गुरु पूर्णिमा के त्रिदिवसीय महा महोत्सव के तहत कृष्णगिरी के श्री पार्श्वपद्मावती शक्ति पीठाधिपति राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. की निश्रा में संगीतमय भैरव भक्ति का भव्य आयोजन यहां बास्केटबॉल स्टेडियम में हुआ।
कार्यक्रम में केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सुनील सिंघी ने भी बतौर अतिथि शिरकत की। श्रीनगीनभाई कोठारी चैरिटेबल ट्रस्ट ह्रींकार गिरी के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की जानकारी देते हुए ट्रस्टी जय कोठारी ने बताया कि इस अवसर पर बड़ी संख्या में युवाओं एवं शहर के श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम में डॉ वसंतविजयजी ने “ओ बाबा थारो भक्त बनु में.., भक्ति की है रात बाबा आज थाने आणो है.., मेरे दादा के दरबार में सब लोगों का खाता.., हम हारे हारे-हारे के सहारे आजा.., तेरे नाम से शुरु तेरे नाम से…, मेरी मां खोल दे मेरे नसीब को.., दीवाने हैं दीवानों को नजर चाहिए.. सरीखे अनेक भजनों की श्रृंखला तथा भैरव एवं भक्ति की महिमा का बखान करते हुए प्रस्तुत की। वसंतविजयजी ने श्रद्धालुओं को सकारात्मक दृष्टि के साथ जीवन में आगे बढ़ने की मांगलिक भी प्रदान किया।
चमत्कारी “गुरुकृपा प्राप्ति महायंत्र” का वितरण आज..
श्री नगीन भाई कोठारी चेरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी विजय कोठारी ने बताया कि आयोजन के समापन दिवस की संध्या में चंद्रग्रहण के महायोग पर मंगलवार, 16 जुलाई की शाम 7 बजे से ‘चंद्रकला अमृत गुरुकृपा महाविधान’ का दुर्लभ कार्यक्रम बास्केटबॉल स्टेडियम में होगा।
साथ ही बाॅलीवूड के अनेक कलाकारों द्वारा गुरुभक्ति की संगीतमय प्रस्तुतियां डाॅ.वसंतविजयजी की निश्रा में दी जाएगी। इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओें को संतश्री द्वारा अभिमंत्रित व चमत्कारी ‘गुरुकृपा प्राप्ति महायंत्र’ भी प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पारस चैनल पर प्रसारित होगा।