चेन्नई. अयानावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी कुमुदलताने कहा आचार्य जैन धर्म पर आचरण करना सिखाते हैं। फूलों की खुशबू की तरह ही उपाध्याय प्रवर और संतों का जीवन होता है जो हमेशा फूल की तरह खिला रहता है।
धर्म संघ में उपाध्याय प्रवर ज्ञान की खुशबू देकर जीवन पवित्र बनाते हैं। वे जीवन से अज्ञान और मिथ्या की परत हटाने और जीवन में दीपक जलाने का कार्य करते हैं। धर्मसंघ में ज्ञान का दीपक जलाते हैं। प्रकृति हरी भरी है तो जीवन सुदंर और सरल और पवित्र रहेगा। हरे-भरे वातावरण में रहने से व्यक्ति स्वस्थ्य रहता है।
हरियाली में रहने से जीवन कांतिमय और हरा-भरा रहता है। साध्वी पद्मकीर्ति ने श्रीपाल रस के माध्यम से श्रीपाल और मैना सुदंरी का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा सच्ची श्रद्धा और विश्वास से व्यक्ति असंभव कार्य को भी संभव बना सकता है। गुरु दिवाकर कमला युवा संघ के सदस्यों ने सभी श्रावकों को जय जिनेन्द्र सिखाया।