क्रमांक – 7
. *तत्त्व – दर्शन*
*🔹सत् (द्रव्य) के प्रकार*
*👉 द्रव्य या तत्त्व कितने हैं? इस प्रश्न का उत्तर विभिन्न ग्रंथों में विविध रूपों में दिया गया है। जहाँ तक द्रव्य सामान्य का प्रश्न है, सब एक हैं। वहाँ किसी प्रकार की भेद-कल्पना उत्पन्न ही नहीं होती। जो सत् है, वही द्रव्य है और वही तत्त्व है।*
*यदि हम द्वैत दृष्टि से देखें तो द्रव्य को दो रूपों में देख सकते हैं। ये दो रूप हैं – जीव और अजीव। चैतन्य लक्षण वाले जितने भी द्रव्य विशेष हैं, वे सब जीव विभाग के अन्तर्गत आ जाते हैं। जिनमें चैतन्य नहीं है, वे सभी द्रव्य विशेष अजीव विभाग के अन्तर्गत आ जाते हैं।*
*जीव और अजीव के अन्य भेद करने पर द्रव्य के छः भेद भी हो जाते हैं। वे हैं – धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, काल, पुद्गलास्तिकाय और जीवास्तिकाय। इनमें जीवास्तिकाय जीव विभाग में तथा शेष पांच अजीव विभाग के अन्तर्गत आते हैं। इन छः द्रव्यों की व्याख्या जागतिक् सन्दर्भ में की जाती है। आत्मिक विकास की दृष्टि से भी जीव और अजीव – इन दो द्रव्यों को विस्तृत कर नौ द्रव्य या तत्त्व स्वीकार किये गए हैं। वे हैं – जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष। छः द्रव्यों और नौ तत्त्वों का विस्तृत विवेचन आगे किया जाएगा।*
*क्रमशः ………..*
*✒️ लिखने में कोई गलती हुई हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं।*
विकास सेठिया।