चेन्नई. न्यू वाशरमैनपेट जैन स्थानक में विराजित साध्वी साक्षीज्योति ने संवत्सरी पर कहा क्षमा करना और लेना केवल मानव ही कर सकता है। पशु क्षमा का आदान-प्रदान नहीं कर सकता। यदि भीतर इनसानियत आ जाए तो जो क्षमा मांगने आएंगे उनको क्षमा किया जा सकता है।
जिनसे भूल हो गई उनको भी हम बिना किसी अहंकार के माफ कर सकते हैं। जिसके भीतर इनसानियत होगी वे खुद को पाप कर्म से बचा लेंगे तथा जिसके भीतर हैवानियत होगी वह चाहे कितना ही सुंदर क्यों न हो वह सुंदरता उसके काम नहीं आएगी।
संवत्सरी की साधना-आराधना करने वालों को मन में एक भाव पैदा करना है कि हैवानियत मेरे दिल में नहीं रहेगी। जब जैन परिवार में पैदा हुए हैं और इतना अच्छा भगवान महावीर का शासन मिला है तो जीवन में इनसानियत अपनाएं। तभी संवत्सरी मनाना सार्थ होगा।
संवत्सरी महापर्व दो टूटे दिलों को जोडऩे का काम करता है। जिनके साथ हमारा मनमुटाव है, कोई दुर्भावना है तो उनसे सच्चे दिल से क्षमायाचना करेंगे तभी हमारा संसार सीमित हो सकेगा।
इस मौके पर अनेक श्रद्धालुओं ने संवत्सरी पर गीतिका प्रस्तुत की एवं ललित मकाना व संजय दुगड़ व अन्य विचार व्यक्त किए।