चेन्नई. क्रोमपेट जैन स्थानक में विराजित उपप्रवर्तक श्रुतमुनि ने कहा महावीर ने पाप और पुण्य दो मार्ग बताए हैं। पुण्य से स्वर्ग प्राप्त होगा, मोक्ष प्राप्त होगा जबकि पाप के कारण दुख सहना होगा।
इसलिए सभी को पाप से बचना चाहिए। कोई सूखे घास के समान पाप करता है। जो सोचता नहीं है और पाप से डरता नहीं है, पाप करता जाता है। अंत में कर्म से मार खाता है। कोई जलती हुई लकड़ी से समान पाप करता है, धीरे धीरे कर्म को बांधता है और नरक में जाकर दुख भोगता है। कोई पेट्रोल की टंकी के समान पाप करता है।
खुद भी करता है, दूसरों को भी कराता है। ऐसा जीव नर्क भोगता है। इसलिए भगवान ने सभी को पाप से बचने के लिए कहा है। यह मानव जीवन दुर्लभ है। पाप से बचने के लिए पश्चाताप, प्रतिक्रमण करते रहे।
इससे भव को सुख मिलेगा। सोने से पहले सभी जीवों को क्षमा करें, क्षमा से हमारी आत्मा हल्की होकर कर्म की सद्गति को पाएगी। शादी के अवसर पर रात्रि भोजन, पटाखे, फूल के उपयोग जैसे हिंसा बढ़ाने वाली चीजों से दूर रहें।
इस अवसर पर अक्षरमुनि ने मंगलाचरण और जाप करवाया। कल वे विहार कर पल्लावरम जैन स्थानक पहुंचेंगे।