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दुर्जन के भीतर भी सद्भावना जगाने का करें प्रयास

दुर्जन के भीतर भी सद्भावना जगाने का करें प्रयास

गुंटूर. विजयवाड़ा हाइवे स्थित ह्रींकार तीर्थ में मुनि संयमरत्न विजय, मुनि भुवनरत्न विजय एवं साध्वी प्रावीण्यनिधि, संयमनिधि के सान्निध्य में श्री पाश्र्वनाथ का जन्मकल्याणक मनाया गया। मुनि ने कहा कि परमात्मा जन्म लेने के साथ ही स्व-पर का कल्याण करते हैं, इसलिए उनका कल्याणक मनाया जाता है।

तीर्थंकरों का चरित्र इतना पवित्र होता है कि उनके कल्याणक के समय नरक में रहने वाले जीवों को भी क्षण मात्र के लिए सुख की अनुभूति होती है। हमें भी महापुरुषों के चरित्र को अपनाकर जीवन को पवित्र बनाना है। नाम के लिए नहीं, अपितु अच्छे व सच्चे काम के लिए अपना दाम लगाएं। प्र

भु पाश्र्वनाथ के जीवन चरित्र से हमें यही शिक्षा मिलती है कि हम दुर्जन के प्रति दुर्भावना न लाएं अपितु उसके भीतर भी सद्भावना जगाने का प्रयास करें।

मंगलवार की मंगलवेला में मुनिद्वय का विजयवाड़ा के राजेन्द्र भवन में पावन पदार्पण होगा, जहां प्रवचन के साथ नूतन वर्ष का मांगलिक भी श्रवण कराएंगे।

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