रमेशमुनि के देवलोक गमन पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित
चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा के सानिध्य में रमेश मुनि के देवलोक गमन पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुआ। सिद्धिसुधा ने कहा रामेशमुनि का हम सब पर बहुत बड़ा उपकार है।
उनके जीवन के कुछ गुण अपने जीवन मे उतार कर जीवन बदल लेना चाहिए। रमेश मुनि ने संसार को बदलने के लिए अपना जीवन लगा दिया।
उनके उपकार को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने पाप को धोने के लिए गंगा नहाता है। लेकिन भूल गया है कि गंगा में नहाने से मनुष्य का शरीर धुलता है उसका मन नही। जब तक मनुष्य अपने मन को नहीं रोकेगा तब तक पाप नहीं धूल सकता है।
साध्वी सुविधि ने कहा कि उत्राध्यान आगम की गंगा में डुबकी लगाते लगाते सब आज 11वे अंग विपाक सूत्र पर पहुच चुके है। विपाक को फल और परिणाम कहा जाता है। मतलब इतने दिनों तक के पढ़ाई का इसमे परिणाम दिखता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन मे शुभ और अशुभ दो कर्म होते है। इन दोनों में से ही मनुष्य कर्म करता है।
शुभ कर्म करने वालो के सामने अच्छा आता है और गलत कर्म करने वालो के सामने गलत आता है। मनुष्य के सुख दुःख का कारण उसके कर्मो पर निर्भर करता है। जैसा कर्म मनुष्य करेगा वैसा उसे झेलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अध्यन तो सब करते हैं लेकिन उसका परिणाम सभी के मेहनत का खुलासा कर देता है। परीक्षा देकर आने के बाद हर बच्चा बोलता है कि अच्छा लिखा।
लेकिन जब परिणाम सामने आता है तो सब पता चल जाता है। संसार का कोई भी प्राणी दुख नहीं चाहता है। सब चाहते है कि सुख आये और वापस न जाये। लेकिन परमात्मा कहते हैं कि मनुष्य को दुख आने पर उसके कारण को जान लेना चाहिए। दुख आने पर अगर मनुष्य उसके स्वरूप को जान लेगा तो दोबारा दुख नहीं आएगा।
उन्होंने कहा कि जीवन के दुख तब तक दूर नहीं हो सकते जब तक मनुष्य उसके स्वरूप को जान कर सुधार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि मा अपने बच्चो की गंदगी साफ करने में थोड़ा भी नहीं हिचकिचाती हैं। लेकिन मनुष्य अपनी माँ के दुख और तकलीफ में थोड़ा साथ भी नहीं दे पाता है। लेकिन समय जब करवट लेती है तब मनुष्य बहुत पछतावा करता है।
याद रखो की एक गलती भी जीवन भर के दुखों का कारण बन सकती है। इस लिए अशुभ कर्म करने से पहले सोच समझ लेना चाहिए। इंद्रियों की गुलामी करने वाले हर समय परेसान रहते है। जीवन को सुखद बनाना है तो इंद्रियों की गुलामी नहीं बल्कि उनपर नियंत्रण रखें।
उन्होंने कहा कि व्यसन आने पर मनुष्य कुछ चीजो को अपनी आदत बना लेता है, इसलिए उसके दुख दूर नहीं होते है। लेकिन अशुभ कर्मो को अपनी आदत नहीं बनानी चाहिए। गुलाम होने के बाद मनुष्य अपनी खुसी को पूरा करने के लिए जीवो की हिंसा करता है।
अपने लाभ के लिए जीवो की हत्या करने वाले कभी सुखी नहीं रह पाते हैं। इससे पहले सभा मे उपस्थित सभी लोगो ने नम आंखों से रमेशमुनि को श्रद्धांजलि अर्पित की। संघ के अध्यक्ष आनदमल छलानी समेत अन्य लोगो ने भी अपने विचार रखे। संघ मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया।