चेन्नई. आवड़ी जैन स्थानक में विराजित श्रुतमुनि ने कहा हमारा भाग्य है कि हमने आर्यक्षेत्र में जन्म लिया, जैन धर्म मिला, सब कुछ संपन्न मिला, यदि ये सब मिला है तो हमें सबसे पहले अपने जन्मदाता माता-पिता की सेवा करनी चाहिए।
उसके बाद सम्यकत्वदाता एवं सत्य का मार्ग बताने वालों की सेवा करने से सौभाग्य जगता है। तीसरा जीवों का दाता, जीवन व्यवहार का निर्वाह करने वालों से निस्वार्थ भाव एवं विनम्रता से, आदर व परोपकार का कार्य करने से, सत्संग व साधु-संतों के समागम में जाने से, वैराग्य, त्याग, पच्छखान, नियम से भी सौभाग्य प्राप्त होता है।
देव दुर्लभ जन्म हमें मिला है। दान, सत्संग और संयम भी अपनाना चाहिए। धर्मसभा में साध्वी पूर्णायशा भी उपस्थित थी। इसके अलावा दिलीप बोहरा, रणजीत बाफणा, पदमचंद आंचलिया व शीतल खिंवसरा भी उपस्थित थे। संचालन हीराचंद रांका ने किया। मुनिगण यहां से प्रस्थान कर पट्टाभिराम जैन भवन पहुंचेंगे।