चेन्नई. साहुकारपेट के जैन स्थानक में विराजित जयधुरंधर मुनि ने कहा कि आज के समय में लोगों में तेरे मेरे की भावना आने लगी है जिससे उसका अंधकार रूपी मार्ग में प्रवेश हो रहा है। लेकिन जीवन में सुधार लाने और आत्मा के शुद्धिकरण के लिए मनुष्य को अपने गुरु भगवंतों के बताए मार्गो का अनुसरण करना चाहिए। मानव मिट्टी का खिलौना है और अंत में मिट्टी में ही मिल जाना है।
ऐसे में तेरा मेरा करके दूसरों को दुखी कर वो खुद को दुखी कर रहा है। लोग अपना पराया करते है लेकिन जब संकट की घड़ी आती है तो साथ कोई भी नहीं देता है। उन्होंने कहा कि दुनिया के चक्करों से बाहर निकल कर मनुष्य को प्रभु की भक्ति में लगना चाहिए। लोगों को अपने साथ अपने मित्रों को भी धर्म के कार्यो से जोडऩे का प्रयास करना चाहिए।
सच्चा मित्र वही होता है जो भलाई के रास्तों पर ले जाने का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि आत्मा का सच्चा मित्र धर्म होता है। जो धर्म के रास्तों को चुनते है उनका जीवन बदल जाता है। रविवार को सामायिक और एकासणा के साथ जयमल मुनि का 223वां पुण्यस्मृति दिवस मनाया जाएगा।