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तत्त्व स्वरूप के प्रति श्रद्धा को समकित कहते हैं

तत्त्व स्वरूप के प्रति  श्रद्धा को समकित कहते हैं

*☀️प्रवचन वैभव☀️*

 

*🪷 सद् उपदेशक:🪷*

*युग प्रभावक कृपाप्राप्त*

मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.

✒️

8️⃣7️⃣

🤍

*_431)_*

तत्त्व स्वरूप के प्रति

श्रद्धा को समकित कहते हैं..!

*_432)_*

समकित के बिना

चारित्र नही हो सकता.!

*_433)_*

तात्त्विक धर्ममार्ग

समकित से शुरू होता है.!

*_434)_*

स्वयं की स्वयं के

आत्म स्वरूप के प्रति

श्रद्धा को समकित कहते हैं.!

*_435)_*

किसी कारणवश

आचरण में आई कमी

क्षम्य हो सकती हैं लेकिन

श्रद्धामें आंशिक

कमी भी अक्षम्य हैं.!

*(श्री ओलीजी पर्व प्रवचन-७)*

 

*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*

 

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