चेन्नई. ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा तैरना और डूबना इन्सान के हाथ में है बाकी सब निमित्त की बात है। जीवन रूपी सिक्के के दो पहलू हैं सुख और दुख। मानव और भगवान दोनों ही हीरे हैं।
मानव के अंदर ही देव व दानव दोनों हैं। देव की प्रतिष्ठा और दानव का दहन करना मानव भव की विशेषता है।
विशेषता देखने वाला विशिष्ट और कमियां देखने वाला कमीना होता है। मानव, मौत और मुक्ति तीनों की एक ही राशि है।
साध्वी ने कहा जीवन को तीर्थ बनाओ तमाशा नहीं। अंतर केवल इतना है कि एक खान में पड़ा है और दूसरा शान से चढ़ा है। यह जिंदगी सिणगारने जैसी है सुलगाने जैसी नहीं।
मंदिर व स्थानक का जीर्णोद्धार करना तो आसान है जीवन का जीर्णोद्धार करने की चिंता करनी है।
साध्वी सुप्रतिभाश्री ने कहा जो आत्मा के साथ कर्मों को चिपकाने का काम करे वही लेश्या है। विज्ञान ने इसे आभामंडल कहा है, भगवान ने उसे लेश्या कहा है।