उत्तराद्ध चातुर्मासिक मंगल प्रवेश समारोह
तेरापंथ सभा भवन, तंडियारपेट में मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमारजी ठाणां के द्विमासिक उत्तराद्ध चातुर्मासिक प्रवेश पर स्वागत समारोह आयोजित हुआ| इस अवसर पर मुनि श्री रमेशकुमारजी ठाणा 2 की गरिमामय उपस्थिति रही|
मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमार ने कहा कि चातुर्मास एक ऐसा समय होता है जब श्रावकों के मन में विशेष ज्ञान सिखने, तप करने, ध्यान में मग्न होने का होता हैं|
मुनि श्री ने आगे कहा कि परम् पूज्य गुरूदेव की असीम कृपा से आज चेन्नई शहर के दूसरे क्षेत्र तंडियारपेट में उत्तराद्ध के चातुर्मासिक प्रवेश हेतू मंगल प्रवेश किया| बड़े शहरों में क्षेत्रीय दूरिया के कारण दो जगह चातुर्मास होने से दोनों जगह धर्माराधना में निरन्तरता रहती हैं| चातुर्मास में नवीनता रहती हैं|
मुनि श्री ने पावन प्रेरणा देते हुए कहा कि समाज में जहां बिखराव होता हैं, उसे परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं| साधु-साध्वी समाज के लिए होते हैं, अत: आप लोगों को उसका सम्यक् उपयोग करना चाहिए| मुनि श्री ने आगे कहा कि तप से कुछ समय के लिए निर्जरा होती हैं और ज्ञानाराधना निरन्तर निर्जरा में सहयोगी बनती हैं|
मुनि श्री रमेशकुमार ने कहा कि संत को सरिता की उपमा से उपमित किया गया हैं| जैसे सरिता बहती हुई अपने प्रवाह में आने वाले खेतो को हरा भरा बना देती हैं, उसी तरह संत भी जहां-जहां विचरण करते हैं वहां के लोगों में ज्ञान, ध्यान, तप, त्याग के द्वारा उनके जीवन रूपी बगिया को हरा भरा कर देते हैं|
मुनि श्री ने आगे कहा कि हमें हमारे कषायों का उपशमन कर जीवन में साधना का विकास करना चाहिए| उज्जवल अतीत से वर्तमान में प्रेरणा लेनी चाहिए|
मुनि श्री सुबोधकुमार ने कहा कि हिस्ट्ररी को दोहराना ही नहीं अपितु बनाना चाहिए| पाने के लिए अपने पात्र को, पात्रताओं को बढ़ाना चाहिए| मुनि श्री विमलेशकुमार ने कहा कि आज से तंडियारपेट में धर्म का शॉपिंग मॉल लगा है, जहाँ आप लोग शत प्रतिशत डिस्काउंट के साथ ज्ञान, दर्शन, चारित्र रूपी उपलब्ध माल का लाभ उठाते रहे|
मुनि श्री विनीतकुमार ने कहा कि क्रिकेट टीम के ऑलराऊण्डर खिलाड़ी की तरह मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमारजी लगभग हर विषय पर सम्यक् समाधान दे देते हैं|
मुख्य वक्ता श्री पन्नालाल सिंघवी (पुर्वाध्यक्ष जैन संघ) ने कहा कि आज का सुप्रभात भगवान महावीर की ज्ञान रश्मियों को लेकर मुनि ज्ञानेन्द्रकुमारजी यहा पधारे हैं| चेन्नई इतिहासों की नगरी है, यहाँ आज से पच्चास वर्ष पूर्व आचार्य श्री तुलसी और पिछले वर्ष आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपने चातुर्मासिक प्रवास में जो कार्य किये, वे इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गये|
श्री सिंघवी ने आगे कहा कि जो अनुशासन तेरापंथ धर्मसंघ में है, वह अगर सम्पूर्ण जैन समाज में आ जाए तो समाज का कायाकल्प हो सकता हैं|
इससे पुर्व मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमारजी ने पुर्वाद्ध चातुर्मास सम्पन्न कर साहूकारपेट तेरापंथ भवन से विहार कर एम सी रोड़ होकर करणलाल विमलकुमार चिप्पड़ के निवास स्थान से जुलूस के साथ तंडियारपेट तेरापंथ भवन में मंगल मंत्रोच्चार के साथ मंगल चातुर्मासिक प्रवेश किया|
ज्ञानशाला ज्ञानार्थीयों ने मंगलाचरण गितीका की प्रस्तुति दी| तंडियारपेट तेरापंथ ट्रस्ट के मुख्यन्यासी श्री इन्द्रचन्द डुंगरवाल ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया| मुख्य अतिथि श्री प्यारेलाल पितालीया, विशिष्ट अतिथि श्री तनसुखलाल नाहर, तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड़, तेयुप उपाध्यक्ष श्री मुकेश नवलखा, टीपीएफ अध्यक्ष श्री अनिल लुणावत, महिला मण्डल की रीमा सिंघवी, ट्रस्ट उपाध्यक्ष श्री तेजमल संचेती ने भी मुनि श्री के मंगल प्रवेश पर मंगलमय भावना प्रकट की| जय तुलसी संगीत मंडल ने स्वागत गीतिका, स्थानीय महिला समाज ने “लो राज हंस अभिनन्दन”, तंडियारपेट ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने “हुई गुरूवर कृपा” संगीतमय स्वर लहरी से मुनिवृंद का अभिनन्दन किया| श्रीमती कंचनदेवी माण्डोत ने छह उपवास की तपस्या का प्रत्याख्यान कर मुनि वृन्द का तप उपहार से स्वागत किया|
कार्यक्रम का कुशल संचालन श्री देवीलाल हिरण एवं आभार ज्ञापन ट्रस्ट बोर्ड मंत्री श्री पूनमचन्द माण्डोत ने किया| ट्रस्ट बोर्ड द्वारा अतिथियों, दानदाता श्री संजय भंसाली, आर्किटेक्ट श्री नवीन कुमार अग्रवाल, ऑडिटर श्री अनिल लुणावत का सम्मान किया गया|
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, चेन्नई