चेन्नई. वेस्ट सईदापेट जैन स्थानक में विराजित जय धुरंधर मुनि ने कहा संसार सुख और दुख का चक्र है। जो व्यक्ति इस रहस्य को समझ लेता है वह हर परिस्थिति में मानसिक संतुलन बनाते हुए समभाव रखता है ।
एक क्षण का दुख साल भर के सुखों को भुला देता है। दुख से भागना नहीं उससे संघर्ष करना चाहिए। दुख में से सुख निकालने की कला ही वास्तविक कला है। व्यक्ति चाहे तो सुख के बिना भी सुखी बन सकता है और दुख के बिना भी दुखी बन सकता है ।
सुख प्राप्त होना अलग है और उसमें सुखी होना अलग।
इस अवसर पर जय कलश मुनि ने कभी खुशियों का मेला है कभी आंखों में पानी है गीत पेश किया। मुनिगण यहां से विहार कर विरुगम्बाक्कम जैन स्थानक पहुंचेंगे। उनका शुक्रवार को होली चातुर्मास के लिए वड़पलनी जैन स्थानक में प्रवेश होगा।